पूर्व भारतीय स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए वित्तीय मदद को संख्या से नहीं आंका जाना चाहिए और योगदान करने वालों की रााशि को लेकर सवाल पूछना हैरानी की बात है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए दुनिया भर में खिलाड़ी दान दे रहे हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर यूजर्स उनके योगदान को लेकर सवाल उठा रहे हैं और ओझा उनके इस रवैये से हैरान हैं। भारत में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। लॉकडाउन के बावजूद सोमवार को 227 नए मामले सामने आने से चिंता बढ़ गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इस वायरस के संक्रमण से अब तक 32 लोगों की मौत हो गई है। वहीं संक्रमित लोगों की संख्या 1200 के पार हो गई है। ऐसे में सभी लोग अपने स्तर पर इस महामारी से लड़ने में मदद कर रहे हैं, लेकिन डोनेशन पर सवाल उठाने वालों से प्रज्ञान ओझा नाराज हैं।

पिछले महीने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने वाले ओझा ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ”यह देखकर काफी हैरानी हो रही है कि जो लोग इस संकट की घड़ी में मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं, उन पर सवाल (किसने कितनी राशि दान में दी है) उठाए जा रहे हैं। मदद तो मदद ही होती है, इसे आंका नहीं जा सकता। हमें उनका शुक्रगुजार होना चाहिए।”बता दें कि प्रज्ञान ओझा ने 2008 में भारत की वनडे टीम में डेब्यू किया था। इसके बाद से साल 2013 तक उन्होंने तीनों फॉर्मैट के मैचों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। सबसे तेजी से 100 विकेट चटकाने वाला भारतीय गेंदबाज होने के बावजूद प्रज्ञान ओझा के गेंदबाजी एक्शन को लेकर एक समय सवाल उठाए गए थे। ओझा ने 24 टेस्ट में 113 विकेट और 18 वनडे में 21 विकेट चटकाए हैं। इसके अलावा छह टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनके नाम पर 10 विकेट दर्ज हैं। उन्होंने टीम इंडिया की तरफ से आखिरी मैच 2013 में खेला था।

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