नई दिल्ली। लद्दाख के गलवन घाटी में चीनी सैनिकों द्वारा 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआइ ने अपना कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पास कई ऐसे स्पॉन्सर यानी प्रायोजक हैं, जो किसी ने किसी तरह चीन से जुड़े हुए हैं।

बीसीसीआइ ने वीवो, ड्रीम इलेवन जैसी चीनी कंपनियों के साथ हुए करार पर एक बार दोबारा विचार करने का फैसला किया है। यही वजह है कि आइपीएल की गवर्निंग बॉडी चीनी कंपनियों के साथ मौजूदा करार को लेकर अगले सप्ताह बैठक आयोजित करने जा रही है। इस बैठक में चीनी कंपनियों के साथ हुए करार के भविष्य पर फैसला किया जाएगा।

बता दें कि आइपीएल की मुख्य मौजूदा प्रायोजक मोबाइल बनाने वाली चीनी कंपनी वीवो है। यही नहीं बीसीसीआइ की घरेलू अंतरराष्ट्रीय सीरीज में पेटीएम मुख्य प्रायोजक है, जिसमें चीनी कंपनी अली बाबा ने पैसा लगाया हुआ है। इतना ही नहीं ऑनलाइन शिक्षा देने वाली भारतीय कंपनी बायजू(Byju’s) में भी चीनी कंपनी का पैसा लगा हुआ है।

भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने 2200 करोड़ रुपये में वीवो के साथ पांच साल तक के लिए करार किया है। आइपीएल का टाइटल स्पॉन्सर वीवो को मिला है। वहीं, 37.15 पेटीएम में प्रतिशत का हिस्सा चीनी कंपनी अलीबाबा का है जो बीसीसीआइ की घरेलू प्रायोजक है। बीसीसीआइ ने 326.8 करोड़ रुपये में पेटीएम के साथ करार किया हुआ है। इसके अलावा फैंटेसी पार्टनर के तौर पर ड्रीम इलेवन है, जिससे मोटी रकम बीसीसीआइ को मिल सकती है।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआइ के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा है, “हमें भारत और चीन के हितों को अलग-अलग रखने की जरूरत है। जो भी पैसा आ रहा है उसका 42 प्रतिशत भारतीय सरकार और टैक्स के द्वारा भारतीय सेना को जा रहा है। लेकिन हम अब करार के बारे में सोचेंगे। यदि बीसीसीआइ चीनी कंपनी से पैसा कमा रही है तो यह पैसा सरकार को भी जा रहा है। यह पैसा भारतीयों की भी मदद कर रहा है।”

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