लखनऊ। भाजपा से न होने के बाद सपा से निकाले गए रामपाल यादव जो कुछ पहले कांग्रेस में सेंधमारी कर रहे थे लेकिन वहां से टका सा जवाब मिलने के बाद शिवपाल की शरण में लौट आये हैं। यह वहीं रामपाल हैं जिन्होंने राजधानी में अवैध कब्जे कर पूरा साम्राज्य बसाया था। अपनी छवि सुधारने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राम पाल के अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलवाया था। इसके बाद अप्रैल में अखिलेश यादव ने पार्टी से बाहर कर दिया था। अब सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने आज एक ज्ञापन जारी करके उन्हें वापस ले आये। शिवपाल ने कहा कि सीतापुर के बिसवां से विधायक रामपाल यादव के निष्कासन पर विचार करते हुए उन्हें पार्टी में वापस लिया जा रहा है।
अप्रैल में रामपाल पर हुई थी कार्रवाई
अप्रैल में सपा विधायक रामपाल का जियामऊ स्थित अवैध निर्माण ढहाने पहुंची एलडीए की टीम के साथ विधायक और उनके समर्थकों ने मारपीट की थी। इसके बाद पुलिस ने रामपाल और उनके समधी पूर्व विधायक राजेंद्र यादव सहित नो लोगों को हिरासत में ले लिया था। इस दौरान उनके एक समर्थक ने भारी पुलिस फोर्स के सामने एलडीए सचिव पर पिस्टल भी तान दी थी। विधायक और उनके समर्थकों ने इतना बवाल किया कि पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा था।
रामपाल शुरू से ही पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं
अखिलेश यादव को को लगातार सूचना दी जा रही थी कि रामपाल सीतापुर-लखनऊ में अवैध कब्जे कर रहे थे। बात तब और बिगड़ गई जब रामपाल ने सीतापुर से जिला पंचायत के लिए अपने बेटे जितेंद्र यादव को सीतापुर जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में लड़ाना चाहा। लेकिन अखिलेश ने साफ छवि के कैंडिडेट को वहां से चुनाव में उतारने का फैसला लिया। रामपाल नहीं माने और अपने बेटे को निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में उतारा। सीएम ने रामपाल के सारे अवैध निर्माण की जांच के लिए आदेश देने के साथ ही निर्माण गिराने का भी आदेश दिया था। . साथ ही उन्हें विधानमंडल दल से भी निलंबित कर दिया था। इसके अलावा उनके बेटे जितेंद्र को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसके पहले भी रामपाल तब विवादों में घिरे थे जब बीते साल 6 दिसंबर को दो समुदायों में हुए टकराव के बाद भीड़ को समझाने पहुंचे रामपाल ने दो लोगों को थप्पड़ जड़ दिया था।