मध्य प्रदेश में मंगलवार 21 अप्रैल को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पांच मंत्रियों को राज्यपाल लालजी टंडन शपथ दिलवाएंगे। फिलहाल मंत्रिमंडल का स्वरूप छोटा रखा जा रहा है। कोरोना संकट पर नियंत्रण और लॉकडाउन हटने के बाद अगले महीने मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना भी जताई जा रही है। शपथ लेने वाले मंत्रियों में डॉ. नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल व मीना सिंह के अलावा सिंधिया समर्थक तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के नाम बताए जा रहे हैं।

मंगलवार दोपहर 12 बजे भोपाल स्थित राजभवन में शपथ समारोह का आयोजन सादगी के साथ किया जाएगा। कोरोना संकट के चलते शारीरिक दूरी और संक्रमण से बचाव के सभी उपायों को अपनाते हुए आयोजन की तैयारियां की जा रही हैं। मुख्यमंत्री चौहान की शपथ के 29 दिन बाद उनके मंत्रियों को शपथ दिलाई जा रही है। फिलहाल पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों में सिलावट और राजपूत को ही शामिल करने का निर्णय किया गया है।

भाजपा हाइकमान की हरी झंडी के बाद पांच मंत्रियों को शपथ दिलाने का निर्णय हुआ है, इसमें जातीय समीकरण को साधने का प्रयास भी किया गया है। महिला और आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व मीना सिंह, ओबीसी वर्ग से कमल पटेल, अनुसूचित जाति वर्ग से सिलावट और सामान्य वर्ग से नरोत्तम मिश्रा और गोविंद सिंह राजपूत को प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कमल नाथ मंत्रिमंडल में सिलावट के पास स्वास्थ्य और राजपूत के पास परिवहन विभाग की कमान थी।

कांग्रेस नेता सिब्बल व तन्खा ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र

कांग्रेस ने मप्र की शिवराज सरकार द्वारा हाल ही में पारित दो अध्यादेशों को असंवैधानिक बताया है। इस संबंध में पार्टी के राज्यसभा सदस्य व वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा और कपिल सिब्बल ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। तन्खा ने कुछ दिन पहले भी राष्ट्रपति को पत्र लिखकर बिना कैबिनेट के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा काम किए जाने पर आरोप लगाए थे

सिंधिया खेमे के 2 मंत्री हो सकते हैं शामिल

कैबिनेट गठन में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले पूर्व सांसद ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के खेमे के दो लोगों को जगह मिल सकती है। आपको बता दें कि कमलनाथ और पूर्व सीएम दिग्‍विजय सिंह से अनबन होने के बाद ग्‍वालियर के महाराज सिंधिया ने अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया और इसी वजह से कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। इसके बाद एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान को सीएम बनने का मौका मिला, लेकिन कैबिनेट नहीं होने के कारण उनकी आलोचना हो रही थी।

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