लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रस्तावित महागठबंधन से समाजवादी पार्टी (सपा) के नाता तोड़ लेने से तिलमिलाये राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) अध्यक्ष अजित सिंह ने मुलायम सिंह यादव पर चौधरी चरण सिंह और डा0 लोहिया की नीतियों से भटकने का आरोप लगाते हुए जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और बहुजन समाज संघर्ष समिति(बीएस-4) के साथ मिलकर चुनाव लडने की घोषणा की। रालोद अध्यक्ष अजित सिंह, जदयू के वरिष्ठ नेता एवं सांसद शरद यादव, जदयू प्रवक्ता के सी त्यागी और बीएसफोर के बचान सिंह यादव ने यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तीनों दलों ने विधानसभा का चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला किया है। श्री सिंह ने कहा कि उनका गठबंधन विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लडेगा। मुख्यमंत्री के चेहरा पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में पहले ही जयंत चौधरी के नाम की घोषणा की जा चुकी है। रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने कहा कि साम्प्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में चौधरी चरण सिंह और लोहिया के लोगों के साथ मिलकर चुनाव लडने के पक्ष में थे और इसके लिए प्रयास भी किया गया।
सपा अध्यक्ष मुलायम ने रालोद को अपनी पार्टी में विलय की शर्त रख दी
श्री सिंह ने कहा कि गत पांच नवम्बर को सपा के 25 साल पूरे होने पर आयोजित समारोह में हम लोगों ने भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) का मुकाबला करने के लिए महागठबंधन के लिए खाका तैयार किया लेकिन सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने महागठबंधन न कर पार्टी के विलय की शर्त रख दी। उन्होंने कहा कि सपा रालोद को अपनी पार्टी में विलय करने की तो बात करती है लेकिन जब बिहार में महागठबंधन की बात आई तो वहां महागठबंधन में सपा के विलय करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सपा अध्यक्ष डा लोहिया और चरण सिंह की नीतियों से भटक गये हैं।
जद यू नेता शरद यादव ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने सपा के झण्डे के साथ चुनाव लडने और महागंठबंधन में विलय नहीं करने की शर्त रख दी, लेकिन उत्तर प्रदेश में चौधरी चरण सिंह और डा0 राम मनोहर लोहिया के लोगों को एक मंच पर लाकर गठबंधन कर चुनाव लडने के बात की तो सपा अध्यक्ष पार्टी के विलय की बात करने लगे।
उन्होंने कहा कि अब विलय का समय नहीं बचा है, इसलिए तीन दलों ने गठबंधन कर लिया है। उनका कहना था कि उन लोगों की कुछ अन्य छोटे दलों से गठबंधन में शामिल होने की बातचीत चल रही है। रालोद अध्यक्ष ने नोटबंदी के बाद जनता को हो रही परेशानी के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जल्दबाजी में लिए गये इस निर्णय से आधी से ज्यादा जनता लाइनों में खडी है। वह कालेधन के खिलाफ हैं। सरकार के 500 और 1000 रुपये के नोटबंदी के निर्णय पक्ष में हैं लेकिन इस निर्णय के पहले प्रधानमंत्री को नये नोटों की व्यवस्था करवानी चाहिए थी।
रालोद अध्यक्ष ने कहा कि 1978 मे 1000, 5000 और दस हजार रुपये के नोट बंद किए गये थे लेकिन उस समय आम जनता के पास बडे नोट नहीं थे और चंद लोगों के पास ही वे नोट थे इसलिए परेशानी नहीं हुई।
श्री सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार ने नोटबन्दी का निर्णय कर 80 प्रतिशत लोगों को परेशान करने का काम किया है। ऐसा लगता है कि सरकार ने यह फैसला सोच समझकर नहीं लिया बल्कि कुछ लोगों ने बगैर किसी सलाह के इतना बडा निर्णय ले लिया जिससे लोग परेशान हैं।
भाजपा ने काले धन के नाम पर नोटबंदी कर देश में तबाही खडी कर दी
जदयू नेता शरद यादव ने कहा कि नोटबंदी ही एक मामला नहीं है इसके पहले भाजपा ने पहले लवजेहाद और गाय का मामला उठाकर देश में हालात बिगाडने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने काले धन के नाम पर नोटबंदी कर देश में तबाही खडी कर दी है। विपक्ष लोगों को हो रही परेशानी की बात उठा रहा है।
उन्होंने कहा कि नये नोट नहीं होने की वजह से शादी करने वाले परिवार परेशान हैं। इतना ही नहीं, किसान रवी की फसल की बुआई नहीं कर पा रहा है। वह बीज एवं खाद खरीदने के लिए पैसा नहीं होने के कारण भटक रहा है। बडे नोट बंद करने से पहले केन्द्र सरकार को वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी जिससे आम लोग परेशानी से बचते।