लखनऊ के कैण्ट विधानसभा क्षेत्र से विधायक व प्रदेश सरकार में मंत्री रही रीता बहुगुणा जोशी के इलाहाबाद से सांसद बनने पर इस सीट पर उपचुनाव होना तय हो गया है। सपा-बसपा गठबंधन टूटने और भाजपा के लोकसभा चुनाव में मजबूत होने से इस विधानसभा सीट पर समीकरण बदल गया है।
उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं रीता बहुगुणा लखनऊ कैण्ट विधानसभा से चुनाव जीती थीं। उन्होंने समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी अपर्णा यादव और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी योगेश दीक्षित को हराया था। इसके बाद रीता बहुगुणा को भाजपा ने लोकसभा चुनाव-2019 में इलाहाबाद संसदीय सीट से उम्मीदवार बना दिया। वह चुनाव लड़ने के बाद भारी मतों से जीत भी गईं जिससे लखनऊ कैण्ट विधानसभा सीट खाली हो गई। इसलिए अब लखनऊ कैण्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। पिछले चुनाव में इस सीट पर बसपा के उम्मीदवार रहे योगेश दीक्षित अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में सपा की पूर्व प्रत्याशी अपर्णा यादव को कैण्ट सीट पर बड़ा दावेदार माना जा रहा है। अपर्णा यादव समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू हैं।
अब सपा-बसपा गठबंधन टूटने के बाद इस सीट पर उपचुनाव में बसपा को अपना अलग उम्मीदवार तलाशना पड़ेगा क्योंकि पिछले चुनाव में योगेश को बसपा ने बड़ी मुश्किल से तलाशा था। लोकसभा चुनाव में भारी जीत के बाद उत्साहित भाजपा के बड़े नेता भी कैण्ट विधानसभा में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। इसमें पूर्व विधायक सुरेश तिवारी, रीता बहुगुणा जोशी के पुत्र मयंक जोशी, सिंधी अकाडमी के उपाध्यक्ष नानक चंद्र, राज्यमंत्री महेन्द्र सिंह, कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक की पत्नी का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। कांग्रेस पार्टी के पास तो लखनऊ कैण्ट विधानसभा में कोई बड़ा चेहरा नहीं है लेकिन यहां भी टिकट मांगने वालों की कमी नहीं है। प्रदेश प्रवक्ता अंशु से लेकर कैण्ट के छोटे बड़े कारोबारी नेता कांग्रेस में टिकट के लिए दावेदारी किये हुए हैं।