ममता बनर्जी भी लगता है सत्ता के मद में चूर हो जो भी मन में आया बोलती हैं और करती हैं। राजनीति में खासतौर पर राष्टï्रपति चुनाव में पटखनी खाने के बाद भी उनकी अकड़ कम नहीं हुई हैं। प्रेस काउंसिल के मुखिया मार्केण्डय काटजू ममता को पहले ही तानाशाह बता चुके हैं। भारतीय रेल को घर की जागीर समझ चलाने और उसे कंगाल बनाने वाली ममता बनर्जी ने एक बार फिर मुंह खोला हैं कि न्यायपालिका का एक वर्ग भ्रष्ट है तथा कुछ मौंको पर अदालत के फैसले को धनबल से प्रभावित करा लिया जाता है|
सुश्री बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा के प्लेटिनम जुबली समारोह के मौके पर एक कार्यक्रम में कहा कि पैसों के लिये कई बार अदालत के फैसले बदल दिये जाते हैं1 इन दिनों धनबल के प्रभाव से न्याय भी अछूता नहीं रहा।यही नहीं न्यायपालिका का एक वर्ग भी भ्रष्टाचार में लिप्त है। मैं जानती हूं ऐसा कहने पर मुझे मानहानि का सामना करना पड सकता है1 लेकिन यह भी कहना चाहूंगी कि मैं इसके लिये जेल जाने के लिये तैयार हूं।.उन्होंने न्यायिक आयोगों के गठन के औचित्य पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुये कहा कि अब तक बहुत से न्यायिक आयोग गठित किये गये हैं .लेकिन इनका परिणाम आखिर क्या रहा। इन आयोगों पर पैसे खर्च किये गये जबकि आयोग ने सिवा ऊंचे अधिकारियों से बातचीत के अलावा कुछ नहीं किया|
उल्लेखनीय है सुश्री बनर्जी का बयान ऐसे समय आया है .जब एक दिन पहले पश्चिम बंगाल मानव अधिकार आयोग ने अपनी जांच में कहा है कि कोलकाता पुलिस उनके और रेल मंत्री मुकुल राय के कार्टून एक सोशल नेटवर्किंग साइट पर पोस्ट किये जाने के मामले में जाधवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्र और उनके पडोसी सुब्रत सेनगुप्ता को प्रताडि़त करने के लिये कसूरवार है|