पाकिस्तान की एक शीर्ष अदालत ने मौत की सजा पाए भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के लिए एक कानूनी प्रतिनिधि की नियुक्त करने से जुड़ी सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए शुक्रवार को तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले की सुनवाई के लिए बृहद पीठ के गठन का आदेश दिया था, जिसके बाद इस्लामाबाद उच्च न्यायालय द्वारा यह निर्णय लिया गया।
कुलभूषण जाधव मामले में ‘अदालत मित्र’ के तौर पर तीन वरिष्ठ वकीलों का नाम भी सुझाया गया था क्योंकि अदालत ने पाकिस्तान सरकार को आदेश दिया था कि वह मौत की सजा पाए कैदी के लिए एक वकील नियुक्त करने का ‘एक और मौका’ भारत को दे। अदालत में सोमवार को जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के संबंध में पाकिस्तान सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई थी।
नई पीठ में मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह, न्यामूर्ति आमिर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब शामिल हैं। मामले में अगली सुनवाई तीन सिंतबर के लिए सूचीबद्ध है। उल्लेखनीय है कि भारतीय नौसेना के सेवानिवृत अधिकारी 50 वर्षीय कुलभूषण जाधव को जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी। इसके कुछ ही समय बाद भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच से पाकिस्तान द्वारा मना करने और मौत की सजा को चुनौती देने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पिछले साल (2019) जुलाई में कहा था कि पाकिस्तान को जाधव को दोषी ठहराए जाने और सजा की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करना चाहिए और उसे बिना देरी किए भारत को राजनयिक पहुंच प्रदान करनी चाहिए।
पाकिस्तान द्वारा पहली राजनयिक पहुंच गत वर्ष दो सितम्बर में प्रदान की गई थी। पाकिस्तान का दावा है कि जाधव को उसके सुरक्षा बलों ने तीन मार्च, 2016 को बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था जहां उन्होंने ईरान से कथित तौर पर प्रवेश किया था। वहीं भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था जहां नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उनके व्यापारिक हित थे।