एटीएम लूटपाट से संबंधित खबरें आए दिन देश के अलग-अलग इलाकों से सामने आती रहती हैं और ऐसी वारदातों के सीसीटीवी फुटेज भी कई बार सामने आते रहे हैं।
फिर भी अब तक इस पर पूरी तरह से नकेल नहीं कसी गई। यही वजह है कि अपराधी आए दिन चोरी व लूटपाट जैसी घटनाओं को सरेआम अंजाम दे रहे हैं। अपराधियों का मनोबल ऐसा बढ़ गया है कि वह जब चाहे जहां चाहे दिनदहाड़े लूटपाट कर लेते हैं और आसानी से फरार हो जाते हैं। ऐसी घटनाओं में संलिप्त गिरोह छोटे शहरों और दूरदराज इलाकों में लगे एटीएम को अपना निशाना बनाते हैं। इस तरह के काम को अंजाम देने के लिए एक नहीं बल्कि कई गैंग हैं, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
कई बार अपराधियों के हौसले इतने बुलंद होते हैं कि सुरक्षाकर्मी को बंधक बनाकर लूटपाट करते हैं या एटीएम मशीन को उखाड़ कर ले जाते हैं। इनके कारण चोरी या लूट का अलार्म न बजना या मशीन के तार काटे जाने पर स्विच यानी कंट्रोल रूम को खबर भी न लग पाना आदि हैं। बहरहाल, इस तरह की लूटपाट होने के बाद पुलिस के कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न उठने लगे हैं। हालांकि एटीएम की लूट पुलिस की ही नहीं बल्कि बैंकों की भी बड़ी लापरवाही है। सुरक्षा मानकों और दिशा निर्देशों की अनदेखी के कारण बैंक लूट के बाद अब एटीएम लूट की भी घटनाएं होने लगी हैं। यह ठीक है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने इस तरह की घटना को रोकने के लिए कई गाइडलाइन जारी की है। गौरतलब है कि एटीएम के बढ़े इस्तेमाल की वजह से बीते कुछ वर्षो में एटीएम धोखाधड़ी, चोरी, डकैती और लूटपाट की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 के बाद से लेकर सितम्बर, 2019 तक ऐसी करीब 50 हजार घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है। वहीं, इस तरह की घटना से बैंकों को करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ी है। एटीएम धोखाधड़ी, चोरी, डकैती और लूटपाट के आंकड़ों की तुलना की जाए तो वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान ये घटनाएं जहां कुछ सौ में हुआ करती थीं, लेकिन 2019 के आते-आते हजारों में पहुंच गई। कुल आंकड़ों को देखें तो साढ़े पांच साल में देश भर में 49,902 घटनाओं के मामले दर्ज किए गए हैं।
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा घटनाएं राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में हुई हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों मुताबिक पूरे देश में एटीएम धोखाधड़ी के मामलों में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है जबकि देश की राजधानी दूसरे स्थान पर है। एटीएम मशीनों के मेंटेनेंस के नाम पर एटीएम में नकदी भरना, एटीएम मशीन का जीरो डाउन होना, सुरक्षा की दृष्टि से दृश्य और अदृश्य कैमरों का चालू रहना, दरवाजे का बंद रहना ताकि एक समय में एक ग्राहक एटीएम में रहे, रात में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था,सुरक्षा के लिए गार्ड आदि इनके मेंटेनेंस के कुछ प्रमुख हिस्से हैं, जिनका पालन नहीं होता। जिस वजह से रोज हमें एटीएम लूटपाट की वारदातों को देखने व सुनने को मिलता है। हालांकि, देश भर में बैंक एटीएम में कैश डालने के दौरान लूटपाट की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से कई दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। इसके तहत देश के सभी शहरों के बैंक एटीएम में रात 9 बजे के बाद कैश नहीं डाला जाएगा। वहीं, ग्रामीण इलाकों में मौजूद बैंक एटीएम में शाम 6 बजे तक ही कैश डाला जा सकेगा। साथ ही नक्सल पीडि़त इलाकों के एटीएम में शाम 4 बजे तक ही नकदी डाली जा सकेगी। सरकार ने यह कदम कैश वैन, कैश वॉल्ट और एटीएम धोखाधड़ी और दूसरी आंतरिक धोखाधड़ी के मामले बढऩे के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है।
मालूम हो, देश भर में निजी क्षेत्र की करीब 8,000 कैश वैन नकदी ढोने के काम में लगी हैं। इन कैश वैन के जरिये रोजाना करीब 15,000 करोड़ रु पये की नकदी का परिवहन किया जाता है। साथ ही कोई भी कैश वैन एक बार में पांच करोड़ रु पये से ज्यादा की नकदी लेकर नहीं चलेगा। वहीं निजी एजेंसियां नकदी परिवहन के लिए किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति पूरी पुलिस जांच और के बिना नहीं कर सकती है। गौर करने वाली बात यह है कि सरकार व रिजर्व बैंक के तमाम प्रयास के बावजूद एटीएम लूटपाट की वारदात कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अगर अब भी इन पर शिंकजा नहीं कसा गया तो आने वाले समय में न सिर्फ घटनाओं के आंकड़े बढ़ेंगे, बल्कि नुकसान भी बढ़ता ही जाएगा।

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