नई दिल्ली। नीति निर्माता संस्था नीति आयोग ने सरकारी प्रशासनिक तंत्र पर निर्भरता कम करने के लिए सार्वजनिक सेवाओं को निजी सेवाओं के हाथों आउटसोर्स कराने का सुझाव दिया है। नीति आयोग ने शासन तंत्र में विशेषज्ञों को शामिल करने की भी अनुशंसा की। आयोग का मानना है कि यह एक ऐसा कदम है जो स्थापित करियर नौकरशाही में प्रतिस्पर्धा लाएगा। आयोग ने हाल ही में सार्वजनिक किए गए तीन वषीर्य कार्रवाई एजेंडे की ड्राफ्ट रिपोर्ट में 2018—19 के अंत तक शासन संबंधी कामकाज को पूरी तरह से डिजिटिलाइज करने का लक्ष्य रखा है।
नौकरशाही में प्रतिस्पर्धा लाना जरूरी
ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि सिविल सेवाएं सरकार की रीढ़ हैं और इन्हें त्वरित निर्णय लेने और उन्हें लागू करने के लिए सशक्त बनाए जाने की जरूरत है। लगातार उच्च स्तरीय प्रदर्शन को केवल तभी हासिल किया जा सकता है जब इसे अच्छे प्रदर्शन को पुरस्कृत करने और खराब को दंडित करने के निष्पक्ष पैमाने पर मापा जाएगा। वर्तमान में अर्थव्यवस्था की जटिलताओं का तात्पर्य है कि नीति निर्माण एक विशिष्ट गतिविधि है। इसलिए यह जरूरी है कि विशेषज्ञों को विशेष तरीके (लेटरल एंट्री) से तंत्र में शामिल किया जाए। ड्राफ्ट रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह की एंट्री का स्थापित करियर नौकरशाही में प्रतिस्पर्धा लाने में लाभकारी प्रभाव भी आएगा।