काठमांडू। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत और नेपाल के संबंधों को लेकर मजबूत करने के लिए बुधवार को नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी और अन्य बड़ी नेताओं से भी मुलाकात की है। दोनों देशों के संबंधों में नेपाल में नया संविधान लागू करने के मुद्दे को लेकर तनाव आ गया था। प्रवण मुखर्जी यहां त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। नेपाल की राष्ट्रपति भंडारी ने उनका स्वागत किया। उसके बाद में दोनों नेताओं की शीतल निवास या राष्ट्रपति भवन में बैठक हुई।
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और दोनों देशों के बीच दोस्ताना संबंधों को और मजबूत बनाने की जरूरत पर बल दिया। विदेश सचिव एस जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि, मुखर्जी ने भंडारी को अपनी सुविधानुसार समय पर भारत यात्रा करने के लिए आमंत्रित किया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। बैठक के दौरान नेपाल के विदेश मंत्री प्रकाश शरण माहत, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जीवन बहादुर शाही और विदेश सचिव शंकर दास बैरागी भी मौजूद थे।
मधेशियों का मुद्दा
पिछले वर्ष संविधान को अंगीकार किये जाने को लेकर मधेशियों के साथ संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के हैं। इस विषय पर मधेशियों ने संसद में बेहतर प्रतिनिधित्व और नये संविधान के संघीय ढांचे के मुद्दे पर छह महीने तक विरोध प्रदर्शन किया था। इनकी नाकेबंदी के कारण दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। नेपाल ने भारत पर ‘अनधिकृत नाकेबंदी’ करने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था।
जल संपर्क विकसित का योजना
नेपाल के उपराष्ट्रपति नंदा बहादुर पुन ने भी मुखर्जी से मुलाकात की। मुखर्जी नेपाल की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं जो गत 18 वर्षों में किसी भारतीय राष्ट्रपति की पहली नेपाल यात्रा है। पुन ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान कोसी और गंगा नदियों के जरिये भारत के साथ जल संपर्क विकसित करने की नेपाल की इच्छा व्यक्त की, जो हिमालयी देश को पश्चिम बंगाल में बंदरगाहों से जोड़ेगा।
नेपाल में भारत के राजदूत रंजीत राय ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, संपर्क के सभी पहलुओं पर चर्चा हुई। लेकिन इस बार रोचक बात सामने आई है जो उपराष्ट्रपति पुन द्वारा पानी से संपर्क की थी। वह कोलकाता से हुबली, गंगा, कोसी के जरिये संपर्क के बारे में बात कर रहे थे। और यह तब हो सकता है यदि कोसी परियोजना विकसित हो। भारत की नेपाल के साथ 1850 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है, जो पांच राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम तक फैली हुई है।