राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नागरिकों से ऐसी राजनीति को नकारने की अपील की, जो लोगों को उनके धर्म के कारण निशाना बनाती है। उन्होंने देश के नागरिकों से धार्मिक असहिष्णुता के खिलाफ खड़े होने की अपील करते हुए वार्षिक परंपरा के अनुसार 16 जनवरी को ‘धार्मिक स्वतंत्रता दिवस’ घोषित किया।

ओबामा ने कहा, “धार्मिक स्वतंत्रता का सिद्धांत साझी संस्कृति, धर्म या विश्वास पर आधारित नहीं है, बल्कि स्वतंत्रता के लिए हमारी साझी प्रतिबद्धता पर आधारित है, और एक अमेरिकी होने के नाते यह हम सबके दिलों में बसता है।” उन्होंने कहा, “अमेरिका का हिस्सा होने का मतलब कट्टरता को नकारना और दूसरों के लिए आवाज़ उठाना है, भले ही उनकी पृष्ठभूमि या आस्था कुछ भी हो, चाहे वे हिजाब पहनें या टोपी”

राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका की ताकत उसकी विविधता में है। ओबामा ने इस बात पर खेद प्रकट किया कि वर्ष 2015 में हुए घृणा अपराधों में करीब 20 प्रतिशत पीड़ितों को धार्मिक भेदभाव के कारण निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता अमेरिकी जीवन की ‘आधारशिला’ है और यह ऐसा सार्वभौमिक अधिकार है, जिसे छीना नहीं जा सकता।

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