Supreme Court
Supreme Court of India

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में नगर निगम चुनावों को मंजूरी दे दी है, लेकिन न्यायालय नगर पालिकाओं के पीठासीन सभापति के पद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछडेव वर्गो के लिए आरक्षित करने से उठे विवाद पर विचार के लिए भी तैयार हो गया है। न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में चार चरणों में होने वाले नगर निगम और नगर पालिका चुनावों पर आज रोक लगाने से इनकार कर दिया। लेकिन न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ये चुनाव इस याचिका के नतीजे के दायरे में आएंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 मई को नगर पालिका और नगर निगमों में पीठासीन सभापति के पद आरक्षित करने के बारे में एक नयी अधिसूचना जारी की थी जिसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। न्यायालय ने पांच जून को सारे मसले पर विचार करने का निश्चय किया था।
अलीगढ़ के खर नगर पालिका के अध्यक्ष पद के लिए सामान्य श्रेणी के प्रत्याशी राकेश गौतम ने इस याचिका में नगर पालिकाओं में पीठासीन सभापति के पद आरक्षित करने संबंधी अधिसूचना पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। उनका तर्क है कि बारी बारी से आरक्षण की बजाए मनमाने तरीके से पीठासीन सभापति के पद आरक्षित किये जाने के कारण समूची चुनाव प्रक्रिया ही दूषित हो गई है। राकेश गौतम के अनुसार प्रदेश में 630 स्थानीय निकायों में 13 नगर निगम, 194 नगर पालिका परिषद और 423 नगर पंचायत हैं। याचिका में कहा गया है कि पीठासीन सभापति का पद बारी बारी से आरक्षित किया जा सकता है। (एजेंसी)

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