
सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि अवैध हथियार रखने के मामले में दोषी बालीवुड अभिनेता संजय दत्त की छह साल कारावास की सजा बरकरार रखी जाए. दूसरी तरफ संजय दत्त ने कहा है कि उन्हें गलत सजा सुनाई गई है लिहाजा उन्हें इससे छूट दी जाए. सीबीआइ और संजय दत्त की ओर से ये दलीलें सुप्रीम कोर्ट में संजय की अपीली याचिका पर सुनवाई के दौरान दी गई.
मालूम हो कि संजय दत्त 1993 में मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में दोषी हैं और मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने उन्हें अवैध हथियार (एके 56 रायफल) रखने के जुर्म में छह साल के कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. दत्त ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. शुक्रवार को न्यायमूर्ति पी सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने दत्त की अपील पर दोनों पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रखा. सीबीआइ ने दत्त की अपील का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि उनके खिलाफ पुख्ता सुबूत हैं और अभियोजन पक्ष ने सफलतापूर्वक अदालत में उन्हें साबित किया है. ऐसे में टाडा अदालत द्वारा उन्हें सुनाई गई सजा बरकरार रखी जाए. जबकि दत्त की ओर से सजा का विरोध करते हुए कहा गया था कि टाडा अदालत द्वारा उन्हें सुनाई गई सजा गलत है. जब टाडा अदालत ने उन्हें टाडा आरोपों से बरी कर दिया और सिर्फ अवैध हथियार रखने का दोषी माना है तो वह अदालत उनके खिलाफ न तो मुकदमे की सुनवाई करने के लिए सक्षम थी और न ही उन्हें सजा सुना सकती थी. जैसे ही टाडा कोर्ट को पता चला कि उनके खिलाफ टाडा में आरोप नहीं बनते उसे उनका मामला 1993 के बम आरोपियों के मामले से अलग कर देना चाहिए था. उनका ट्रायल सिर्फ आम्र्स एक्ट के तहत दूसरी अदालत में होना चाहिïए था. यह भी दलील दी गई कि दत्त को टाडा अदालत ने अपराध स्वीकृति के बयानों के आधार पर सजा सुनाई है जबकि आर्म एक्ट में अपराध स्वीकृति का बयान स्वीकार नहीं किया जा सकता इसलिए उन्हें दी गई सजा गलत है.