पटना। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआइ की ओर से बिहार के एकमात्र स्कोरर नीतीश निशांत भी इन दिनों कोरोना वायरस की मार झेल रहे हैं। कोविड 19 के संक्रमण से तो वे दूर हैं, लेकिन उनको कोरोना वायरस की वजह से किए गए लॉकडाउन के कारण आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने जीवन-यापन के लिए लोन लिया था, जिसकी भरपाई के लिए उनको मुश्किलें आ रही हैं।
नीतीश निशांत को बोर्ड की ओर से एक दिन के मैच में स्कोरिंग के लिए दस हजार रुपये मिलते हैं। कूच बिहार ट्रॉफी, पटना में हुए आमंत्रण अंतरराष्ट्रीय महिला वनडे टूर्नामेंट में स्कोरिंग कर चुके नीतीश ने एक बैंक से लोन लेकर खेल के सामान की दुकान खोली थी, जो लॉकडाउन में बंद रही। यही कारण है कि अब लोन की ईएमआई चुकाने के लिए स्कोरर नीतीश निशांत को हाथ फैलाने पड़ रहे हैं। इस तरह क्रिकेट से जुड़े लोग भी इसके प्रभावित हुए हैं।
नीतीश निशांत ने बताया कि बीसीसीआइ की ओर से मार्च में जो पैसे मिले थे, वे खर्च हो चुके हैं। कोरोना वायरस के डर से डेयरी में काम कर रहे पिता की नौकरी छुड़वा दी थी और अब टूर्नामेंट शुरू हो नहीं रहे हैं। ऐसे में मैं अब दूसरी राह तलाश कर रहा हूं। अगर आगे सब कुछ ठीक भी हो जाए तो कम से कम दो-तीन महीने तक घरेलू टूर्नामेंटों का शुरू होना संभव नहीं लगता है। ऐसे में निशांत को रोजी-रोटी के लिए कोई विकल्प तलाशना होगा।
लॉकडाउन ने भारत ए टीम के सदस्य ईशान किशन के बचपन के कोच संतोष कुमार को भी अर्श से फर्श पर पहुंचा दिया है। पिछले 13 साल से ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही मां के इलाज में पहले ही बेहाल हो चुके संतोष की रही-सही कसर पिछले चार माह से बंद कोचिंग से पूरी हो गई। 2008 में बीसीसीआइ से लेवल-ए कोर्स कर चुके संतोष बताते हैं कि पिछले साल सितंबर में पटना में आई बारिश से तीन माह कोचिंग बंद रही।