मंगलागौरी व्रत प्रारम्भ। अशून्य शयन व्रत। सूर्य उत्तरायण। सूर्य उत्तर गोल। वर्षा ऋतु। अपराह्न 3 बजे से सायं 4 बजकर 30 मिनट तक राहुकालम्।

7 जुलाई,मंगलवार, 
16 आषाढ़ (सौर) शक 1942, 23 आषाढ़ मास प्रविष्टे 2077, 15 जिल्काद सन् हिजरी 1441, श्रावण कृष्ण द्वितीया प्रात: 9 बजकर 3 मिनट तक उपरांत तृतीया, श्रवण नक्षत्र रात्रि 11 बजकर 56 मिनट तक तदनंतर धनिष्ठा नक्षत्र, विष्कुम्भ योग रात्रि 8 बजकर 33 मिनट तक पश्चात प्रीति योग, गर करण, चंद्रमा मकर राशि में (दिन-रात)।

सावन माह में प्रत्येक मंगलवार को मां पार्वती को समर्पित व्रत किया जाता है। यह व्रत मंगला गौरी व्रत नाम से जाना जाता है।इस व्रत के प्रभाव से जीवन में हर प्रकार का मंगल होता है। इस व्रत में माता मंगला गौरी का पूजन किया जाता है। यह व्रत वैवाहिक जीवन में खुशहाली, संतान प्राप्ति और सौभाग्य के लिए कन्याएं और सुहागिन स्त्रियां रखती हैं।

7 जुलाई से 13 जुलाई के व्रत और त्योहार
7 जुलाई(मंगलवार)- मंगलागौरी व्रत प्रारम्भ। अशून्य शयन व्रत।
8 जुलाई(बुधवार)- पंचक प्रारम्भ मध्याह्य 12.30 बजे से। संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। कजरी तीज। स्वर्ण गौरी व्रत।
9 जुलाई(गुरुवार)-पंचक जारी है।
10 जुलाई(शुक्रवार)- पंचक जारी है। नाग पंचमी (बंगाल)।
11 जुलाई (शनिवार)-पंचक जारी है।
12जुलाई (रविवार)-पंचक जारी है। शीतला सप्तमी हनुमान जी, दुर्गादेवी पूजन। केर पूजा(त्रिपुरा)।
13 जुलाई(सोमवार)- पंचक समाप्त प्रात: 11 बजकर 13 मिनट पर। कालाष्टमी। मन्वादि। मत्यर्स दिवस( कश्मीर)।श्रावण सोमवार व्रत।

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