
नेशनल रुरल हेल्थ मिशन स्कैम के आरोपी और बसपा सरकार में कद्दावर मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा घोटाले के पैसे को इंजीनियरिंग कालेज में लगाना चाहते थे. सूत्रों की मानें तो कुशवाहा ने कानपुर में दो ट्रस्ट भी बना ली थी. साथ ही दो प्राइवेट कंपनियां भी खरीदी थीं. इसकी जानकारी सीबीआई को जांच के दौरान मिली है.
सूत्रों की मानें तो बाबू सिंह कुशवाहा ने कानपुर, दिल्ली और कोलकाता की कई कंपनियों में पैसे लगाये थे. इसके लिए उन्होंने अपनी दोनों ट्रस्ट को चेक से दान भी दिया. सूत्रों की मानें तो पहले पैसे कंपनियों में निवेश किये गये और फिर एजुकेशनल ट्रस्ट को दान कर दिया गया. कुशवाहा ने इसे लीगल रुप देने के लिए कानपुर के एक चार्टर्ड एकाउंटेंट को भी हायर कर रखा था. जिसकी मदद से पैसों का लेनदेन किया जा रहा था.
सीबीआई सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि कुशवाहा ने एनआरएचएम के तहत मेडिकल सप्लाई का ठेका देने के लिए मोटी रकम बतौर घूस ली और इस पैसे से डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी और एक कोचिंग सेंटर भी खरीदा. इस दौरान 40 करोड़ रुपये की हेराफेरी का पता सीबीआई को चला है. जिसे कई किस्तों में दोनों ट्रस्टों में इनवेस्ट किया गया. इनमें से एक ट्रस्ट के पेपर सीबीआई के हाथ लगे हैं जिसकी लॉगबुक मेनटेन नहीं है. जिससे सीबीआई को शक है कि घूस के पैसे को इन्हीं ट्रस्टों की मदद से खपाया गया. सूत्र बताते हैं कि सीबाआई कुशवाहा के कुछ रिश्तेदारों के खातों और कारोबार की जांच कर सकती है. जिससे पता चल सके कि कुशवाहा ने कहीं अपने रिश्तेदारों के थ्रू भी घूस और घोटाले के पैसों का बंदरबांट तो नहीं किया?