
बैंक हड़ताल के दूसरे दिन ग्राहकों की दिक्कतें बढ़ गई. हड़ताल के चलते चेकों की क्लियरिंग का काम तो बुधवार को ही ठप हो गया था. आज दूसरे दिन गुरुवार को सरकारी बैंकों के ज्यादातर एटीएम खाली हो गए. इससे निजी बैंकों के एटीएम पर भीड़ जमा हो गई. ग्र्राहकों की लंबी-लंबी लाइन लग गईं. इन दो दिनों में 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने की आशंका है.
बैंकिंग सुधारों के विरोध और वेतन भत्ते बढ़ाने की मांग को लेकर हुई बैंकों की इस हड़ताल में 24 सरकारी बैंकों और 12 पुराने निजी बैंकों के करीब 10 लाख कर्मचारियों ने हिस्सा लिया है. इससे उद्योगों खासकर लघु इकाइयों के कामकाज पर काफी असर पड़ा. निजी बैंकों ने हालांकि उद्योगों को कुछ राहत दी लेकिन लघु इकाइयां, जो ज्यादातर सरकारी बैंकों पर ही निर्भर रहती हैं, उन्हें अपनी कारोबारी जरूरतों के लिए नकदी की दिक्कत से जूझना पड़ा.
हड़ताल में शामिल बैंकों के आम उपभोक्ता नकदी के लिए पूरी तरह एटीएम पर निर्भर थे, लेकिन दोपहर तक अधिकांश एटीएम खाली हो गए. बैंकों के प्रबंधन ने दावा किया था कि हड़ताल को ध्यान में रखते हुए एटीएम में पर्याप्त मात्रा में नकदी की व्यवस्था की गई है. बावजूद इसके ग्र्राहकों को निजी बैंकों के एटीएम का सहारा लेना पड़ा.
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी एसोसिएशन (एआइबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने बताया कि पूरे देश में हड़ताल का असर रहा. बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह ठप रहीं. बैंक यूनियनें बैंकिंग अधिनियम में संशोधन का विरोध कर रही हैं. इसके अलावा कर्मचारी पेंशन व होम लोन के नियमों में संशोधन और हफ्ते में पांच दिन का कार्यदिवस की मांग कर रहे हैं.