देश में खाद्यान्न तेल के बढ़ते दाम के बीच अब यह उम्मीद की जा रही है कि अब लोगों को सरसों तेल के बढ़ते दाम से थोड़ी राहत मिलेगी. क्योंकि इस साल रबी फसल के सीजन में तिलहन की बुवाई अधिक हुइ है, साथ ही सरसों की बुवाई का रकबा भी बढ़ा है. पूरे उत्तर प्रदेश में तिलहन की खेती बढ़ रही है और सरसों की खेती का रकबा पिछले साल की तुलना में इस साल 35 प्रतिशत बढ़ा है.
कृषि विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्य भर में इस वर्ष योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा निर्धारित 7.80 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य से अधिक 9.46 लाख हेक्टेयर में किसानों ने सरसों की खेती की है. इसके अलावा अकेले लखनऊ में इस साल 15,000 हेक्टेयर में सरसों की खेती की गई है जबकि पिछले साल करीब 9,000 हेक्टेयर में सरसों की खेती की गई थी. डेली पॉयोनियर के मुताबिक प्रदेश के सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि किसानों के तिलहन की खेती में जाने का कारण तेल की कीमतों में वृद्धि माना जाता है क्योंकि राज्य भर में सरसों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विभाग द्वारा अभियान चलाया जा रहा है. इसलिए, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उत्तर प्रदेश में एक पीली क्रांति शुरू हो गई है.
किसानों को किया गया था प्रोत्साहित
उन्होंने आगे कहा कि “वास्तव में, कृषि विभाग के अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को 7.80 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरसों की खेती का विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. किसानों को फसलों की समय पर देखभाल करने के साथ-साथ बेहतर उपज प्राप्त करने के तरीकों और साधनों के महत्व पर भी प्रशिक्षित किया गया. नतीजतन, राज्य भर में 20 लाख से अधिक किसानों ने हाल के दिनों में सरसों की खेती की है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में इस साल कई वर्षों के अंतराल के बाद सरसों का बंपर उत्पादन होगा और जल्द ही राज्य देश के भीतर फसल के प्रमुख उत्पादक के रूप में उभरेगा.
उत्तर प्रदेश में इस बार बढ़ेगा सरसों का उत्पादन
पिछले साल राज्य में सात लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों की खेती हुई थी और कुल उत्पादन 10.07 लाख मीट्रिक टन था. उत्तर प्रदेश में इस साल सरसों का उत्पादन पिछले साल की तुलना में बहुत अधिक होगा क्योंकि इसकी खेती काफी बड़े जमीन पर की जाती है. वर्तमान में उत्तर प्रदेश तिलहन उत्पादन में मध्य प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है, जो कुल उत्पादन का 16 प्रतिशत है. मध्य प्रदेश, जो तिलहन का शीर्ष उत्पादक है, में सबसे अधिक 24 प्रतिशत का योगदान है, जबकि महाराष्ट्र 14 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है. भारत में कुल तिलहन उत्पादन में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान का योगदान क्रमशः 10 प्रतिशत, सात प्रतिशत और छह प्रतिशत है. इसी तरह, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा और झारखंड का सामूहिक रूप से देश में कुल तिलहन उत्पादन का 23 प्रतिशत हिस्सा है.
सरसों के उत्पादन में नंबर एक पर था यूपी
तिलहन को रबी और खरीफ दोनों फसलों के रूप में उगाया जाता है और लगभग 64 प्रतिशत तिलहन का उत्पादन रबी के रूप में, 30 प्रतिशत खरीफ के रूप में और छह प्रतिशत ज्यादा फसलों के रूप में किया जाता है. सरसों अनुसंधान निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश 25 साल पहले सरसों के उत्पादन में सबसे ऊपर था, लेकिन बाद में इसकी नई किस्मों की शुरूआत के साथ गेहूं की खेती में वृद्धि के कारण सरसों की खेती का क्षेत्र कम हो गया. 1981-82 में, सरसों की खेती यूपी में 22.76 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जो भारत में सरसों की खेती के तहत 50 प्रतिशत क्षेत्र का गठन करती थी, लेकिन क्षेत्र सिकुड़ने लगा और बाद के वर्षों में उत्पादन घटने लगा.
सरकार ने सरसों पर बढ़ाया एमएसपी
सरसों के उत्पादन में गिरावट के अन्य कारण भी थे. उनमें से एक यह था कि सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गेहूं की तरह नहीं बढ़ाया गया था.हालांकि, वर्तमान केंद्र सरकार ने किसान की आय बढ़ाने के उद्देश्य से इस मुद्दे पर ध्यान दिया और सरसों का एमएसपी भी बढ़ाया. सरकार ने सरसों का एमएसपी 5,050 रुपये रखा है. इसे देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाया.