दिल्ली में 2005 में हुए सीरियल ब्लास्ट केस में आज 12 साल बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने किसी को भी ब्लास्ट का दोषी नहीं माना और तीन में से 2 आरोपियों को बरी कर दिया गया। कोर्ट ने तीसरे आरोपी को दोषी माना तो माना लेकिन गैरकानूनी गतिविधि चलाने के आरोप में। तारिक अहमद को 10 साल सजा सुनाई गई जो कि पहले ही सजा काट चुका है। बता दें कि 12 साल पहले दीपावली के ठीक एक दिन पहले हुई इस घटना में 60 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 100 से ज्यादा घायल हुए थे।
दो आरोपी मोहम्मद रफीक शाह और मोहम्मद हुसैन फाजिल को बरी कर दिया। इसके पहले एडिशनल सेशन जज रितेश सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसले की तारीख 16 फरवरी तय की थी। 2008 में कोर्ट ने तारिक अहमद डार, मोहम्मद हुसैन फाजिल और मो. रफीक शाह डार पर आरोप तय किए थे।
पुलिस ने चार्जशीट में उन पर देश के खिलाफ जंग छेड़ने, साजिश रचने, हथियार जुटाने, हत्या और हत्या की कोशिश के आरोप लगाए थे। तारिक को हमले का मास्टरमाइंड बताया था। पुलिस का दावा था कि डार और बाकी आरोपी लश्कर-ए-तैयबा के टच में थे। इस मामले में 250 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे।
29 अक्टूबर को दिल्ली के सरोजनी नगर, कालकाजी और पहाड़गंज में धमाके हुए थे। पुलिस ने इस मामले में 3 अलग-अलग केस दर्ज किए थे।
कब हुआ था हमला
धमाके दीपावली से एक दिन पहले हुए थे, लिहाजा पूरा शहर जश्न और खरीददारी में जुटा था। बाजारों में भीड़ थी। पहला धमाका शाम 5:38 बजे पहाड़गंज में हुआ, जिसमें 10 लोगों की मौत हुई और करीब 60 लोग घायल हुए। दूसरा धमाका शाम 6:00 बजे गोविंदपुरी में हुआ, जिसमें 4 लोग घायल हुए। तीसरा धमाका सरोजनी नगर में शाम 6:05 बजे हुआ। इसमें सबसे ज्यादा 50 लोगों की मौत हुई थी।