औरैया – आयोडीन की अल्पता से विकार (आयोडीन डिफ़ीसिएन्सी डिसऑर्डर, आईडीडी) को दुनिया भर में प्रमुख पोषण संबंधी विकारो में से एक माना गया है जिसकी रोकथाम के लिए हर साल 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों में आयोडीन के पर्याप्त उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करना और आयोडीन की कमी के परिणामों को उजागर करना हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार लगभग 54 देशों में अभी भी आयोडीन की कमी है। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित वर्ष 2009 के एक शोध के अनुसार भारत में 91 प्रतिशत घरों में आयोडीन युक्त नमक की पहुँच हैं, जिसमें 71 प्रतिशत परिवार पर्याप्त मात्रा में आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करते हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुये भारत दुनिया भर के देशों में से पहला एक ऐसा देश हैं, जिसने आयोडीन युक्त नमक द्वारा आयोडीन की कमी से उत्पन्न विकारों को रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया, ताकि आयोडीन की कमी से होने वाले विकारो से लोगों को बचाया जा सकें।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 (एनएफएचएस-4) के अनुसार जिले में अभी भी लगभग 16.6 प्रतिशत ऐसे परिवार है जो आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल नहीं करते है, जिसके लिए लोगों में जागरूकता लाना बहुत जरूरी हैं, जिससे कि उन्हे आयोडीन की कमी से होने वाली समस्याओं से बचाया जा सकें।
डॉ० शिशिर पुरी , उप मुख्यचिकित्साधिकारी ने बताया कि हर साल इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि आयोडीन की कमी से होने वाले विकारो के प्रति लोगो में जागरूकता लाई जा सके, क्योंकि आयोडीन युक्त नमक न खाने की वजह से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास रुक जाता हैं और वह मंदबुद्धि के होते हैं। उन्होने बताया कि इस तरह की समस्याओं की रोकथाम के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम और आशा के माध्यम से लोगों को आयोडीन युक्त नमक खाने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे कि आयोडीन की कमी से होने वाली विकारो से उन्हें बचाया जा सकें।
क्या है आयोडीन- डॉ० पुरी कहते हैं कि आयोडीन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो मानव विकास और बढ़त के लिए आवश्यक है, जिसकी शरीर को विकास एवं जीने के लिए बहुत थोड़ी मात्रा में आवश्यकता होती हैं। आमतौर पर सामान्य विकास और बढ़त के लिए लगभग 100-150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है।
रिपोर्ट – न्यूज नेटवर्क 24