दिल्ली – दिल्ली दंगों की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. शुरुआती जांच के अनुसार, दिल्ली में हिंसा के पीछे पीएफआई के हाथ होने के संकेत मिले हैं. यह भी कहा जा रहा है कि दिल्ली दंगों के तार आईएसआई (ISI) से भी जुड़ रहे हैं. कुछ अहम मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल से यह संकेत मिले हैं. ये मोबाइल नंबर हिंसा के दौरान अलीगढ़ और दिल्ली में ये मोबाइल नंबर लगातार एक्टिव थे. दूसरी ओर, पाकिस्तानी ट्विटर और फेसबुक अकाउंट से लगातार फर्जी वीडियो शेयर हो रहे थे. बताया जा रहा है कि फर्जी वीडियो और कंटेंट के जरिए हिंसा का डर दिखाकर दंगों की साजिश रची गई.
दिल्ली में बीते 4 दिन हुई हिंसा में अब तक 38 लोगों की जान जा चुकी है। मामले पर दिल्ली पुलिस के अनुसार सीएए का विरोध कर रहे भीम आर्मी के समर्थकों द्वारा रविवार शाम सीएए समर्थकों पर पत्थर चलाए जाने से इस दंगे की चिंगारी उठी। सीएए के इन समर्थकों को बीजेपी नेता कपिल मिश्रा द्वारा मौजपुर चौक पर बुलाया गया था जहां से ये सारा बवाल शुरू हुआ। पुलिस के अनुसार पहला पत्थर भीम आर्मी के सदस्यों की ओर रविवार शाम 4.42 बजे फेंका गया था। इसके बाद 100-125 भीम आर्मी सदस्यों समेत सीएए विरोधियों को सीएए समर्थकों ने दौड़ाया।
पुलिस ने भीम आर्मी के दिल्ली प्रमुख हिमांशू वालमिकी की पहचान की है और दावा है कि उसने रविवार शाम 6 बजे तक और अधिक भीड़ को जुटाया था। इसी सब के चलते मौजपुर और कर्दमपुरी में पत्थरबाजी के कई मामले सामने आ गए। भीम आर्मी ने शनिवार को जाफराबाद में सीएए के खिलाफ भारी भीड़ जुटा ली जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं।
उधर भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने सभी आरोपो को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि सीएए के विरोध में दिल्ली में अलग अलग जगह हमारे प्रदर्शन शांतिपूर्ण व सफल रहे। हमारे लोग किसी तरह की हिंसा में शामिल नहीं हुए थे। बल्कि हमें तो संदेश मिला था कि हमारे दिल्ली अध्यक्ष हिमांशू वाल्मिकी की गाड़ी जला दी गई है। बता दें कि वाल्मिकी ने हिन्दुस्तान टाइम्स को फोन नहीं उठाया। कपिल मिश्रा ने रविवार को दोपहर 1.22 बजे ट्वीट कर सीएए समर्थकों से मौजपुर जाफराबाद में इकट्ठा होने को कहा। 3 बजे वे भी वहां पहुंचे और सीएए के समर्थन में नारे लगाने लगे। जिसके बाद पत्थरबाजी और अन्य घटनाएं शुरू हुईं।