करनाल: हरियाणा के करनाल में शनिवार को हुई बैठक के बाद किसान नेताओं और करनाल प्रशासन के बीच सहमति बन गई है. जिसके बाद अब किसानों का धरना खत्म हो गया है. किसान नेता गुरनाम चढूनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि लाठीचार्ज मामले की न्यायिक जांच होगी. जांच पूरी होने तक तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे. प्रशासन ने किसानों को जांच पूरी करने के लिए एक महीने का वक्त दिया है. हाई कोर्ट के रिटायर जज से इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी.
इसके अलावा प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसान के बेटे को डीसी रेट पर नौकरी देने की बात भी तय हुई है. हालांकि मृतकों और घायलों को मुआवजे का राशि तय नहीं हो पाई है, लेकिन उन्हें मुआवजा दिया जाएगा. बता दें कि किसान चार दिन से करनाल में ‘सिर फोड़ दो’ वाला बयान देने वाले तत्कालीन एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. शुक्रवार को 4 घंटे लंबी चली बैठक का सकारात्मक परिणाम निकला. जिसके बाद किसानों ने शनिवार को धरना खत्म करने का एलान किया.
गौरतलब है कि बीते दिनों सीएम मनोहर लाल का एक कार्यक्रम करनाल में हुआ था. जिसका किसान विरोध कर रहे थे. इसकी सुरक्षा का जिम्मा तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के हाथों में था. इस दौरान किसानों पर लाठीचार्ज किया गया था. उसी वक्त का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें आयुष सिन्हा कहते दिख रहे हैं कि जो भी किसान यहां आने की कोशिश करे उसका सिर फोड़ देना, इसी पर किसान भड़के हुए हैं, और करनाल लघु सचिवालय के बाहर धरना दे रहे हैं, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए थे.
एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें आयुष सिन्हा कहते दिख रहे हैं कि जो भी किसान यहां आने की कोशिश करे उसका सिर फोड़ देना, इसी पर किसान भड़के हुए हैं, और करनाल लघु सचिवालय के बाहर धरना दे रहे हैं, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए थे.
लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने तीन मांगें सरकार के सामने रखी थी. पहली मांग ये है कि एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज किया था, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. दूसरी मांग ये है कि जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को 25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए. तीसरी मांग ये है कि पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसान धरना प्रदर्शन कर रहे थे.
बता दें कि, इससे पहले भी किसानों और प्रशासन के बीच में कई बार वार्ता हो चुकी है, लेकिन हर बार बातचीत विफल रही थी. अब शुक्रवार को हुई बैठक के सकारात्मक रहने के बाद उम्मीद की जा रही है कि शायद बात बन जाए. बता दें कि आज करनाल में संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक होनी है.
गौरतलब है कि बीते दिनों सीएम मनोहर लाल का एक कार्यक्रम करनाल में हुआ था, जिसका किसान विरोध कर रहे थे. इसकी सुरक्षा का जिम्मा तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के हाथों में था. इस दौरान किसानों पर लाठीचार्ज किया गया था. उसी वक्त का एक वीडियो वायरल हुआ,जिसमें आयुष सिन्हा कहते दिख रहे हैं कि जो भी किसान यहां आने की कोशिश करे उसका सिर फोड़ देना, इसी पर किसान भड़के हुए हैं, और करनाल लघु सचिवालय के बाहर धरना दे रहे हैं, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए थे.
लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने तीन मांगें सरकार के सामने रखी थी. पहली मांग ये है कि एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज किया था, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. दूसरी मांग ये है कि जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को 25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए. तीसरी मांग यह है कि पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसानों ने सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सरकार ने इन मांगों को मानने से साफ इनकार कर दिया था, जिसके बाद किसानों ने महापंचायत कर लघु सचिवालय पर धरना शुरू कर दिया था.

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