उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राहुल गांधी को फंसाने की साजिश रची थी। सत्ता के गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर तैर रही है। सर्वोच्च अदालत की सुनवाई के दौरान इस चर्चा को बल मिला है।
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के खिलाफ बलात्कार और लडक़ी को बंधक बनाकर रखने के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में दी गई चुनौती के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने एक ऐसा खुलासा किया जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
वकील ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वर्ष 2011 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ बलात्कार और लडक़ी को बंधक बनाकर रखने के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जो मामला दाखिल किया गया था, वह समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अखिलेश यादव के इशारे पर हुआ था, जो कि अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
न्यायमूर्ति बी. एस. चौहान और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ को अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने यह बात बताई। अदालत मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक किशोर समरीते की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने समरीते के खिलाफ सीबीआई जांच शुरू करने का निर्देश दिया था और साथ ही उन पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी।
समरीते की वकील जायसवाल ने अदालत से कहा कि उन्हें पंडारा रोड से निर्देश मिला था कि वह राहुल गांधी के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएं।
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने पंडारा रोड के जिक्र पर स्पष्टीकरण मांगा तो जायसवाल ने कहा कि निर्देश उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री की ओर से मिले थे।
उन्होंने कहा, उन्हें (समरीते) पंडारा रोड से याचिका दायर करने का निर्देश मिला था।न्यायमूर्ति कुमार ने पूछा, ”आप पहचान क्यों नहीं जाहिर कर रही हो।
जायसवाल ने कहा, ”वर्तमान मुख्यमंत्री और पार्टी के नेता। मैंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के सामने भी यही बयान दिया है।”
जायसवाल ने जैसे ही अखिलेश यादव का नाम लिया, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से नियुक्त वकील रत्नाकर दाश ने इस मामले में अखिलेश यादव की संलिप्तता का विरोध किया। दाश ने कहा कि आरोपों का जवाब देने के लिए दायर किए जाने वाले शपथ पत्र के लिए उन्हें निर्देश लेने पड़ेंगे। इसके बाद अदालत ने कार्यवाही 17 सितम्बर तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले राहुल गांधी ने एक शपथ पत्र दायर कर आरोपों का खंडन किया था। उन्होंने याचिका खारिज किए जाने की भी मांग की थी।