पाकिस्तान के प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक डॉ अब्दुल कादिर खान की तबीयत बिगड़ने के बाद रविवार को उनका 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. डॉ खान को पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है. पाकिस्तान को मुस्लिम वर्ल्ड में पहला परमाणु हथियार संपन्न देश बनाने में उनका बड़ा योगदान है. पाकिस्तानी जनता उन्हें एक नायक के रूप में देखती है. डॉक्टर अब्दुल कदीर खान की शनिवार रात तबीयत बिगड़ने लगी. इसके बाद उन्हें रविवार सुबह छह बजे एंबुलेंस से अस्पताल लाया गया.
सूत्रों ने बताया कि परमाणु वैज्ञानिक को सांस लेने में तकलीफ हुई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. हालांकि, उनकी तबीयत बिगड़ती रही और उनके फेफड़ों में खून बहने लगा. डॉक्टरों ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक की जान बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई और स्थानीय समय के मुताबिक सुबह 7:04 बजे उनका निधन हो गया. डॉक्टरों ने कहा कि अब्दुल कादिर का निधन फेफड़ों के काम नहीं करने की वजह से हुआ. पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद ने कहा कि डॉ खान की जान बचाने के लिए प्रयास किए गए. उनको इस्लामाबाद के एक कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा.
भारत के भोपाल शहर में हुआ था जन्म
डॉ अब्दुल कादिर खान पाकिस्तान में रातों-रात नेशनल हीरो बन गए, जब पाकिस्तान ने मई 1998 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया. परमाणु परीक्षणों के बाद, पाकिस्तान मुस्लिम दुनिया में एकमात्र परमाणु शक्ति और परमाणु हथियार (Pakistan Nuclear Weapons) रखने वाला सातवां देश बन गया. डॉ खान का जन्म भारत के भोपाल शहर (Bhopal) में 1936 में हुआ था. लेकिन बंटवारे के बाद खान अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए. डॉ खान ने अपनी शुरुआती शिक्षा कराची के डीजे साइंस कॉलेज से प्राप्त की. फिर 1961 में वे हायर स्टडीज के लिए यूरोप गए और जर्मनी और हॉलैंड के विश्वविद्यालयों से पीएचडी की.
इमरान खान पर लगाया था नजरअंदाज करने का आरोप
पिछले महीने डॉ खान ने अपनी तबीयत बिगड़ने पर इमरान खान और उनके कैबिनेट मंत्रियों पर नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था. उन्होंने शिकायत की थी कि अस्पताल में इलाज के दौरान न तो प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) और न ही उनके किसी कैबिनेट सदस्य ने उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली. पाकिस्तान के सरकारी एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, कोरोना से संक्रमित होने के बाद डॉ खान को 26 अगस्त को खान रिसर्च लेबोरेटरीज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. फिर बाद में, उन्हें रावलपिंडी के एक सैन्य अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया. जहां वायरस से रिकवर होन के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया.