लाकडाउन के पहले चरण से लेकर अब तक प्रवासियों के उग्र व्यवहार, राज्यों की ओर से हो रही मांग और कुछ स्तर पर हो रही राजनीति के बीच केंद्र सरकार ने लॉकडाउन काल में भी प्रवासियों को अपने गांव- घर जाने की अनुमति दे दी है। बुधवार को दिशानिर्देश जारी कर इसका खाका भी बना दिया है। यानी अलग अलग राज्यों मे फंसे मजदूर, छात्र, तीर्थयात्री, पर्यटक सड़क मार्ग से अपने घर लौट सकते हैं। लेकिन इसके लिए राज्यों के बीच आपसी सहमति होनी चाहिए और नोडल अधिकारी के जरिए ऐसे यात्रियों और समूहों को एक राज्य से भेजा जाएगा और दूसरे राज्य में उन्हें प्रवेश दिया जाएगा। इसके तहत वापसी के दौरान दो जगह पर स्क्रीनिंग की प्रक्रिया से गुजरना होगा और 14 दिन क्वारंटीन में भी रहना होगा।

लाकडाउन खत्म होने के बाद न हो अफरातफरी की स्थिति

लॉकडाउन के दूसरे चरण के खत्म होने में अभी चार दिन बचे हैं। उससे पहले केंद्र सरकार ने मुख्यत: दो कारणों से इस पर फैसला लिया है। पहला कारण तो यह है कि राज्यों की ओर से नीति की मांग की जा रही थी। दूसरा कारण यह है कि लाकडाउन खत्म होने के बाद किसी अफरातफरी की स्थिति से बचने की कोशिश भी हुई है। ऐसी स्थिति बनने पर ज्यादा बड़ी परेशानी खडी हो सकती है। लिहाजा सरकार लाकडाउन के काल में भी प्रवासियों को अपने अपने स्थान पर पहुंचा देना चाहती है।

वापसी चाहने वाले सभी लोगों का होगा पंजीकरण 

गृहमंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देश के अनुसार वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए राज्यों को नोडल अधिकारियों को नियुक्त करना होगा। इसके साथ वापसी चाहने वाले सभी लोगों का पंजीकरण भी करना होगा। यानी वापस आने वालों की पूरी जानकारी रखी जाएगी। वापसी की प्रक्रिया शुरू होने के पहले सभी की स्क्रीनिंग की जाएगी और जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं होंगे, सिर्फ उन्हें ही इजाजत की जाएगी। वापसी के दौरान बीच में आने वाले राज्यों को इन बसों को निकलने की सुविधा देने को भी कहा गया है।

वापसी के बाद प्रवासियों का फिर से होगा स्वास्थ्य परीक्षण

वापसी के बाद प्रवासियों का एक बार फिर से स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। इसके बावजूद उन्हें 14 दिन तक क्वारेंटाइन में रहना होगा। गृहमंत्रालय ने इन सभी के मोबाइल में आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड करने को कहा है ताकि क्वाररंटीन के दौरान उनपर नजर रखी जा सके। दौरान स्थानीय स्वास्थ्य कर्मी इन सभी के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच करते रहेंगे। दिशानिर्देश मे केवल बस का उल्लेख किया गया है। यानी निजी वाहनों से जाने पर रोक रह सकती है। दरअसल बस में जहां सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाएगा वहीं प्रत्येक व्यक्ति पर भी नजर होगी।

लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर, छात्र और पर्यटक दूसरे राज्यों में हैं फंसे

गौरतलब है कि 24 मार्च को अचानक लॉकडाउन की घोषणा के बाद लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर, छात्र और पर्यटक दूसरे राज्यों में फंस गए थे और उनकी घर वापसी एक बड़ी समस्या बनी हुई थी। लोग पैदल भी घरों की ओर चल पड़े थे। , गुजरात, केरल व महाराष्ट्र में मजदूरों के हिंसक प्रदर्शन की घटनाएं भी सामने आने लगी थी। वहीं कोटा में फंसे छात्रों के अभिभावक भी उन्हें वापस लाने के लिए दबाव बना रहे थे।

धीरे धीरे यह राजनीति मुद्दा भी बनने लगा और खासतौर पर बिहार में विपक्षी दलों की ओर से प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए जा रहे थे। ध्यान रहे कि बिहार में इसी साल के अंत में चुनाव भी है। दो दिन पहले प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस पर नीति बनाने की मांग की थी। केंद्र ने दिशानिर्देश जारी कर अब राज्यों पर यह जिम्मेदारी छोड़ दी है।

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