कानपुर से आकाश श्रीवास्तव
कोरोना वायरस की वजह से इस बार मंदी का दौर शुरू हो गया है। एक तरफ जहां बेरोजगारी बढ़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ सीजन में कमाई करने वाले लोगों की अब एक रुपये कमाई नहीं रह गई है। इस बार कानपुर में पूरी तरह से गणेश मूर्ति और ताजिया बनाने वालों का कारोबार बंद हो गया है। कोरोना वजह से प्रशासन सख्त है और इस बार कहीं पर पंडाल नहीं लगे हैं। इसके अलावा घरों में भी उस तरह का उत्सव लोगों में नहीं रह गया है। इस बार ताजिया बनाने का भी पूरा कारोबार बंद हो गया है।
मूर्ति कलाकार सुरेश कुमार कहते हैं, क्या जमाना आया है की मंदिर व मस्जिद जहां बंद हो गई मंदिर में जहां भगवान कैद हैं मस्जिद में नमाजियों की जहां अवाजवाही पर पहरा है, तो वही खुदा के बंद्दो पर भी उनके हुनर पर लगाम लगा दी गई है। क्या वक्त आ गया है कि जमीन की मिट्टी से हाथों की उंगलियों से तराश तराश कर सुंदर मूर्तियां बनाई जाती थी।
मिट्टी से मूर्ति गढ़ने वाले आज भगवान की मूर्ति बनाने वाले जिनकी बनाई गई मूर्ति की सभी जगह पूजा की जाती थी, वह मूर्ति लोग बड़ी श्रद्धा से ले जाते हैं। यही नहीं, बहुत सम्मान बैंड बाजे के साथ विसर्जित करते हैं। आज मिट्टी की मूरत गढ़ कर खुदाई डालने वाले मूर्ति निर्माता बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने बताया कि इस बार गणेश उत्सव सार्वजनिक रूप से नहीं हो पाएगा। ना हीं कार्यक्रम होंगे और ना हीं जुलूस निकलेंगे, जिससे मूर्तियों की मांग बहुत कम हो गई है। पहले यह हालात थे कि काफी पहले से डिमांड मूर्तियां की आती थी इस समय डिमांड नहीं आ रही है।
वहीं, ताजिया बनाने वाले मोहम्मद नईम कहते हैं कि मोहर्रम माह में एक मोहर्रम से 10 मोहर्रम तारीख तक सभी जगह ताजियों की जबरदस्त दरकार होती थी। मगर इस बार हालात बिल्कुल खिलाफ है। ताजियों के सार्वजनिक जुलूस वा इमामबाड़ों में भीड़ वा पैगियो पर कई तरह की पाबंदियों की वजह से तमाम लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि जो तमाम कारीगर ताजिए बनाते थे तमाम पैगिओ के लिए कमर बांधने में काम आने वाले सामानों को बनाते थे तो कुछ लोग इमामबाड़ों में ताजियों के जुलूस वा कार्यक्रम में कुछ ना कुछ कार्य करते थे जिससे उनको चार पैसे बचते थे आज सभी लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं।