जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं को शिक्षा मंत्रालय को स्थगित कर दिया लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार बीएड प्रवेश परीक्षा कराने पर अड़ी
शिक्षा माफिया की कमाई का बड़ा साधन है बीएड कोर्स, अभी तक कोई फैसला नहीं ले पाये डिप्टी सीएम
दिनेश शर्मा
योगी सरकार के ही एक मंत्री मोती सिंह ने लेटर लिख कर परीक्षा रुकवाने का किया अनुरोध
लखनऊ। देश और उत्तर प्रदेश में भले ही कोरोना का मीटर लगातार बढ़ता जा रहा हो, सरकार की तरफ से लोगों को बाहर कम से कम निकलने की चेतावनी दी जा रही है। कोविड-19 की चैन को कम करने के लिए अभी तक सामूहिक कार्यक्रमों की अनुमति नहीं दी गई है। केंद्र सरकार की तरफ से भले ही कोविड-19 को कम करने के लिए स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया गया हो, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार बीएड कॉलेजों के प्रबंधकों को लाभ पहुंचाने के लिए 10 लाख परिवारों की जान जोखिम में डालने जा रही है।
जी हां, यह सुनने में भले ही कुछ अटपटा लग रहा हो, लेकिन हकीकत यही है। जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं को शिक्षा मंत्रालय को स्थगित कर दिया है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार 4 से अधिक अभ्यर्थियों और उनके परिवारीजनों की जान जोखिम में डालने जा रही है। उत्तर प्रदेश के बीएड कॉलेजों में प्रवेश के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय की तरफ से आगामी 9 अगस्त को राज्य स्तरीय संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा का आयोजन करने जा रहा है। संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा ऐसे समय में होने जा रही है, जब उत्तर प्रदेश में कोरोना का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश के कई महानगरों जैसे कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, आगरा में स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है, लेकिन इसके बाद भी प्रवेश परीक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय कराने जा रही है।
बता दें, 9 अगस्त को होने वाली बीएड प्रवेश परीक्षा में प्रदेश भर में करीब 4.32 लाख अभ्यर्थियों का शामिल होना प्रस्तावित है। परीक्षा कराने की जिम्मेदारी लखनऊ विश्वविद्यालय के पास है। यह परीक्षा उत्तर प्रदेश के 73 जिलों में आयोजित होने जा रही है। विश्वविद्यालय की तरफ से हाल में ही जारी किए गए प्रवेश पत्र में केन्द्र काफी दूर बना दिए गए हैं। अभ्यर्थियों को 200-250 किलोमीटर का सफर तक करना पड़ेगा। इसको लेकर काफी नाराजगी भी है। यही नहीं, इतने बड़े कोरोना काल में सरकार की तरफ से बीएड प्रवेश परीक्षा कराए जाने पर अभ्यर्थियों में काफी नाराजगी दे देखी जा रही है। अभ्यर्थियों के साथ ही साथ अभिभावक भी सीएम से न्याय की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक परीक्षा को निरस्त किए जाने का कोई आदेश भी नहीं आया है।
डिप्टी सीएम शर्मा को नहीं जनता का ख्याल
भयंकर कोरोना काल में होने जा रही परीक्षा से अब यह सवाल उठने लगा है कि आखिर क्या उत्तर प्रदेश सरकार को अब प्रदेश के लाखों अभ्यर्थियों की कोई चिंता नहीं है, क्या अब सरकार उत्तर प्रदेश के बीएड प्रबंधकों को लाभ पहुंचाने के लिए लाखों लोगों की जान जोखिम में डालने जा रही है। सरकार अभी कुछ दिन रुककर भी यह परीक्षा को आयोजित करा सकती है, लेकिन सरकार की तरफ से ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है। सरकार ने परीक्षा को स्थगित करने की मांग को लेकर मंत्री और विधायक तक भी पत्र लिख चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी सरकार क्यों नहीं सुन रही है। आखिर क्या प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को प्रदेश के लाखों अभ्यर्थियों की सेहत का कोई ख्याल नहीं है। बता दें, संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड के लिए अब तक तीन बार तारीख बदली जा चुकी है। परीक्षा की तारीखें अभ्यर्थियों के स्वास्थ्य को ही देखते हुए ही बदली गई थी, ऐसे समय में जब कोरोना के मामले पूरे प्रदेश में बढ़ रहे हैं, तो सरकार आखिर क्यों परीक्षा कराने जा रही है।
लॉकडाउन के बाद भी परीक्षा
उत्तर प्रदेश के बीएड कॉलेजों में प्रवेश परीक्षा कराने के लिए भले ही पूरी तैयारी हो चुकी है, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिर क्या अब सरकार को प्रदेश के लाखों अभ्यर्थियों की कोई चिंता नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से ही शनिवार और रविवार की बंदी घोषित कर रखी गई है, लेकिन इसके बाद भी रविवार को ही परीक्षा का आयोजन होने जा रहा है। बीएड अभ्यर्थियों को सप्ताहिक लॉकडाउन की वजह से कितनी परेशानी होगी, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार ने अभ्यर्थियों को आने-जाने की पूरी छूट दे दी है, लेकिन इसके बाद भी ऑटो में बैठने से दिक्कत जरूर होगी। छात्रों को असुविधा न हो इसके लिए सभी सार्वजनिक निजी यातायात जैसे टेंपो, टैक्सी, ओला, उबर, प्राइवेट व सरकारी बसें 08 व 09 अगस्त को चलाने की अनुमति दी गई। कोरोना काल में कोई भी सार्वजनिक वाहन से सफर नहीं करना चाहता है क्योंकि आए दिनों बसों के परिचालक और चालक कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। यही नहीं, टैक्सी, टेपों और अन्य गाड़ियों के चालकों के भी कोरोना से संक्रमित होने की खबरें आ रही है।
बीएड अभ्यर्थी बहुत ही परेशान
लखनऊ विश्वविद्यालय की तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि प्रत्येक परीक्षार्थी के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए प्रत्येक परीक्षा-केंद्र पर परीक्षा-कक्षों तथा फर्नीचर इत्यादि को सेनेटाइज कराने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। प्रत्येक परीक्षार्थी/कक्ष निरीक्षक एवमं परीक्षा से सम्बंधित हर व्यक्ति का इंफ्रारेड थर्मामीटर द्वारा शारीरिक तापमान मापने के साथ ही मास्क लगाकर ही परीक्षा केंद्र में प्रवेश देने की व्यवस्था की गई है। अभ्यर्थियों की सुरक्षा के दृष्टिगत प्रत्येक परीक्षा केंद्र में सेनिटाइजर, हैंड वाश आदि की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है। आखिर क्या कोरोना की कड़ी को रोकने के लिए यह प्राप्त है। अगर ऐसा होता, तो देश के गृह मंत्री अमित शाह को कभी भी कोरोना न होता। प्रयागराज से बलरामपुर बीएड प्रवेश परीक्षा देने की तैयारी कर रहे अनुज मिश्रा ने बताया कि सरकार को प्रदेश के लाखों अभ्यर्थियों का कोई ख्याल नहीं है। अब सरकार के मंत्री सिर्फ प्रबंधकों को ही लाभ देने के लिए लाखों अभ्यर्थियों की जान जोखिम में डालने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोरोना रोकने के लिए यह सब इंतजाम प्राप्त होते, तो प्रदेश के मंत्री और देश के मंत्री कभी कोरोना से पीड़ित न होते। कोरोना किसी भी रूप में और कहीं पर भी मिल सकता है। जब विशेषज्ञ और सरकार यह सब जान रही है, तो ऐसे समय में आखिर सरकार को परीक्षा कराने का क्या मतलब है।
मंत्री और विधायक ने कहा अभी न कराएं परीक्षा
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए नौ अगस्त को प्रस्तावित राज्य स्तरीय संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा का विरोध शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह ने बीएड और 16 अगस्त को होने वाली खण्ड शिक्षाधिकारी की परीक्षा को न कराए जाने के संबंद्ध में सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थी ऐसे समय में बहुत ही भयभीत है और परीक्षा नहीं देना चाहते हैं। उन्होंने अभ्यर्थियों के भविष्य का ख्याल रखते हुए परीक्षा को निरस्त कराएं जाने की मांग की है। वहीं, भाजपा से विधान परिषद सदस्य देवेंद्र सिंह ने भी सरकार को पत्र लिखकर परीक्षा का आयोजन न कराएं जाने की मांग की है।
परीक्षा का आयोजन कराने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों ने भी विरोध किया है। लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) ने तो परीक्षा निरस्त कर मेरिट के आधार पर प्रवेश देने के लिए उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को ज्ञापन भी दिया है। कई संगठनों का कहना है कि एक तरफ तो प्रदेश सरकार ने 31 अगस्त को सभी विद्यालय बंद रखते हुए आनलाइन शिक्षण कार्य करने आदेश कर रखा है दो दूसरी तरफ इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्रों पर बुलाकर परंपरागत तरीके से परीक्षा कराने का फैसला किया है। इतना ही नहीं कोरोना संक्रमण के कारण ही विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं तक नहीं कराई जा रही हैं। उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन ने पहले ही परीक्षा का विरोध करते हुए उप मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया था। लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय व महामंत्री डॉ. अंशु केडिया ने उप मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर कहा है कि परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र तक छोड़ने आने वाले अभिभावकों की संख्या को मिलाकर संख्या 10 लाख के आसपास तक पहुंच जाएगी। ऐसे में शहर में भी बहुत भीड़भाड़ होगी, अगर ऐसे परीक्षा का आयोजन होगा, तो फिर कोरोना वायरस का खतरा और बढ़ेगा।
कोरोना ने देश में तोड़े सारे रिकॉर्ड
देश में कोरोना के केस कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। हर रोज बड़ी संख्या में नए मरीज सामने आ रहे हैं। देश में अब कुल 20,27,075 केसों में से 41,585 लोगों की कोरोना से जान जा चुकी है। वहीं, कुल केसों में से 13,78,106 लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं वहीं 6,07,384 केस फिलहाल ऐक्टिव हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान देश में सबसे ज्यादा 62,538 केस मिले हैं। बात अगर उत्तर प्रदेश की जाए तो यहां पर भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश प्रदेश में शुक्रवार को कोरोना से रिकॉर्ड 63 लोगों की मौत हुई है। राज्य में मृतकों की कुल संख्या 1981 हुए, राज्य में 4404 नए मामले रिपोर्ट हुए हैं। यूपी में फिलहाल 44,563 ऐक्टिव केस हैं, 66834 लोग ठीक हो चुके हैं।