निखिल बेटा तुम्हे गये 10 दिन से ज्यादा हो चुके हैं। आज भी तुम्हारा हंसता चेहरा सामने है। सड़क पर भरे बाजार तेज रफ्तार में भागती अवैध रूप से चल रही ट्रैक्टर ट्रालियां तुम्हारी और तुम जैसे मासूमों की कातिल हैं। तुम्हारी मां की आंखों का पानी सूख चुका है। बस तुम्हारी याद में वो चीख पड़ती हैं। तुम्हारी मां के अलावा सब अपनी अपनी दुनिया में वापस लौटने लगे हैं। लेकिन वो कहां जाये उसकी तो दुनिया ही तुम थे। उसकी आंखें आज भी सड़क पर लगी हैं कि तुम कब आओगे। सब जानते हैं कि तुम अब नहीं आओगे लेकिन उसे यह समझाने के लिए कलेजा पत्थर का बनाना होगा।
मासूम की ऐसी दर्दनाक मौत जिसे सुनकर ही सामने वाला रो पड़े तो आप कल्पना कीजिये कि जिसके कलेजे का टुकडा है उस पर क्या बीत रही होगी। हम सब निखिल को वापस नहीं ला सकते लेकिन इसकी मां और परिवार की मदद के लिए हाथ तो बढा ही सकते हैं। चूंकि परिवार सदमे में है और गरीब है। इसलिए जो लोग भी मदद करना चाहें वो अपना नम्बर इन बॉक्स में दे सकते हैं। वो परिवार की आकर भी मदद कर सकते हैं। हमारा ब्लैकबोर्ड फाण्डेशन दुख की इस घडी में शुरू से ही परिवार के साथ है