दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में मोदी कैबिनेट ने किसानों को बड़ा दिया तोहफा दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को किसानों के लिए स्वैच्छिक बनाने का फैसला किया। इसके अलावा, नॉर्थ ईस्ट के किसानों के लिए फसल बीमा का प्रीमियम 90 फीसदी सरकार देगी। वहीं, कृषि लोन पर मिलने वाले इंटरेस्ट सबवेंशन 2 फीसदी को बढ़ाकर 2.5 फीसदी कर दिया गया है। सरकार ने डेयरी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए बुधवार को 4,558 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी। सरकार के इस फैसले से 95 लाख डेयरी किसानों को फायदा होगा।
साथ ही मंत्रिमंडल ने 22वें विधि आयोग के गठन और सहायक प्रजनन तकनीक (नियमन) विधेयक को भी मंजूरी दे दी है। यह आयोग सरकार को जटिल कानूनी मुद्दों पर सलाह देगा। पूर्व विधि आयोग का कार्यकाल इस वर्ष अगस्त में समाप्त हो रहा है। विधि मंत्रालय अब नए आयोग को अधिसूचित करेगा जिसका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल द्वारा किये गए इस निर्णय के बारे में सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रकारों को दी।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की खामियों को दुरुस्त करते हुए अब इसे किसानों के लिए स्वैच्छिक बना दिया गया है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फरवरी, 2016 में शुरु की गई इस फसल बीमा योजना के तहत ऋण लेने वाले किसानों के लिए यह बीमा कवर लेना अनिवार्य रखा गया था। मौजूदा समय में कुल किसानों में से 58 फीसदी किसान ऋण लेने वाले हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ 5.5 करोड़ किसानों ने उठाया है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कुल 13,000 करोड़ रुपए का बीमा हुआ। इसमें से 7 हजार करोड़ रुपए क्लेम के रूप में दिए गए हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को अब स्वैच्छिक बना दिया है। योजना की उपलब्धियों के बारे में तोमर ने कहा कि बीमा कार्यक्रम में 30 फीसद खेती योग्य क्षेत्र को शामिल किया गया है।
सरकार ने कहा कि पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस के अंतर्गत केंद्रीय सब्सिडी असिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिए 30 प्रतिशत तक प्रीमियम दरों के लिए सीमित होगी और सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिए 25 प्रतिशत होगी। 50 प्रतिशत या उससे अधिक सिंचित क्षेत्र वाले जिलों को सिंचित क्षेत्र/जिला (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों) के रूप में माना जाएगा। योजना लागू करने में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए लचीलापन होगा और उनके पास प्रतिबंधित बुआई, स्थानीय आपदा, मध्य सीजन में विपरीत परिस्थिति तथा फसल कटाई के बाद के नुकसानों जैसे अतिरिक्त जोखिम कवर/विशेषताओं में से कोई एक या अनेक चुनने का विकल्प होगा। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ओला-वृष्टि आदि जैसे विशिष्ट एकल जोखिम/बीमा कवर की पेशकश पीएमएफबीवाई के अंतर्गत बेस कवर के साथ और बेस कवर के बिना दोनों स्थितियों में कर सकते हैं।
योजना के अंतर्गत नामांकन सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक होगा। प्रीमियम सब्सिडी में केंद्र का हिस्सा पूर्वोत्तर राज्यों के लिए वर्तमान 50:50 की साझा व्यवस्था से बढ़ाकर 90 प्रतिशत किया जाएगा। इन परिवर्तनों को पूरे देश में खरीफ 2020 सीजन से लागू किया जाएगा। पीएमएफबीवाई अधिसूचित फसलों के लिए फसली ऋण लेने वाले और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लेने वाले किसानों के लिए अनिवार्य है, जबकि यह दूसरों के लिए स्वैच्छिक है। यह योजना बुवाई के पहले व फसल की कटाई तक की अवधि के लिए व्यापक रूप फसल बीमा प्रदान करती है।