कुशीनगर। यूपी के कुशीनगर जनपद के बरवापट्टी थाना क्षेत्र के रामपुर पट्टी में एक गिद्ध हुआ पाया गया है। उसके दोनों पंखों में सी-3 (C3) टैग और जीपीएफ लगा है। गांववालों ने गिद्ध को पड़ा हुआ देखा तो इसकी सूचना तत्काल वनाधिकारियों को दी। डीएफओ के निर्देश पर तमकुही रेंज के वन क्षेत्राधिकारी नृपेंद्र द्विवेदी ने मौके पर वनकर्मियों को भेजा। गिद्ध को उठाकर सरगटिया करनपट्टी स्थित वन विभाग के कार्यालय पर लाया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि गिद्ध मरणासन्न हालत में वहां पड़ा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे चोट लगी या फिर वह बुरी तरह बीमार हो। वनाधिकारियों का कहना है कि गिद्ध की जांच की जा रही है।
जासूसी या किसी संदिग्ध होने से इंकार
जानकारी के अनुसार, कुशीनगर के बरवापट्टी थाने के रामपुर बरहन के बकुलहवा गांव में गन्ने के खेत में कोडिंग और बड़ा चिप लगा गिद्ध मिला है। इसकी सूचना मिलते ही मौके पर ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी और तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई। वहीं सूचना पर एसओ अरविंद कुमार भी फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। पुलिस ने आते ही गिद्ध को कब्जे में लेकर वन विभाग को सौंप दिया। तमकुही रेंज के वन क्षेत्राधिकारी नृपेंद्र कुमार चतुर्वेदी के अनुसार, यह पक्षी गिद्ध है, जिसपर किसी शोध संस्था ने अपना कोडिंग और लोकेशन ट्रेस करने के लिए चिप लगा रखा है। उन्होंने कहा कि प्रायः विलुप्त हो रहे पशु पक्षियों के लिए उसके अस्तित्व को जानने के उद्देश्य से टैगिंग किया जाता है लेकिन अभी बहुत कुछ स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। इसके लिए डीएफओ कुशीनगर को अवगत कराया गया है। फिलहाल वह भूखा है, इसलिए उसके मांसाहारी भोजन का प्रबंध किया जा रहा है। गिद्ध के दोनो पंख पर टैग (C3) पीले रंग के व जीपीएस टैकर लगा हुआ है। गिद्ध प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र से संबंधित है। इस गिद्ध को प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र द्वारा संरक्षित करते हुए टैग व जीपीएस लगाकर छोड़ा गया है। जीपीएस ट्रैकर के माध्यम सें उसकी लोकेशन व गतिविधियों की जानकारी कर डाटा तैयार किया जाता है। इसका संबंध किसी जासूसी या किसी संदिग्ध कार्यवाही से संबंधित नहीं है।
महराजगंज का हो सकता है गिद्ध
कुशीनगर में पाए गए गिद्ध के बारे में आशंका है कि वह महराजगंज का हो सकता है। पिछले साल वन विभाग ने महराजगंज में गिद्धों की गिनती और टैगिंग कराई थी। महराजगंज के  फरेंदा तहसील के भारी-बैसी गांव में ‘जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ भी स्‍थापित किया जा रहा है। यह केंद्र हरियाणा के पिंजौर में स्थापित ‘जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र’ की तर्ज पर स्थापित हो रहा है। गिद्ध संरक्षण के लिए पिंजौर देश का पहला और महराजगंज प्रदेश का पहला संरक्षण केंद्र है।
भारत में पाई जाती हैं गिद्धों की नौ प्रजातियां
भारतीय महाद्वीप पर गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन गिद्धों की तीन प्रजातियां व्हाइट बैक्ड (जिप्स बेंगेंसिस), लॉन्ग-बिल्ड (जिप्स इंडिकस) और सिलेंडर-बिल्ड (जिप्स टेनुइरोस्ट्रिस) भारतीय वन्य जीव अधिनियम की अनुसूची (एक) के तहत संरक्षित हैं। इन केंद्र में उनके प्रजनन और संरक्षण पर भी जोर दिया जाएगा।
गो-सदन के पास भी दिखा था यह झुण्ड
गोरखपुर में बनने वाला ‘जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) एवं वन्यजीव अनुसंधान संगठन के साथ मिल कर स्थापित हो रहा है। केंद्र की स्‍थापना से पहले गिद्धों की संख्या और उनके प्राकृतिक आवास का मूल्यांकन किया जा रहा है। महराजगंज में यह उत्तर प्रदेश का पहला ‘जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ होगा। चल रहे सर्वेक्षण का मकसद यह पता लगाना है कि गिद्धों की कौन सी प्रजाति सबसे ज्यादा खतरे में हैं। सर्वेक्षण में जीआईएस (ज्योग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम) मैपिंग तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। ताकि इनकी सही संख्या का पता लग सके। महराजगंज वन प्रभाग के मधवलिया रेंज में अगस्त 2018 में 100 से अधिक गिद्ध देखे गए थे। प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित गो-सदन के पास भी यह झुण्ड दिखा था। वन विभाग कहना है कि वर्ष 2013-14 में गिद्धों की गणना की गई तो यूपी के 13 जिलों में 900 के करीब गिद्ध मिले थे।

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