burn-pakistani-terroristsकसाब व अफजल गुरु की भारतीय जेलों में खातिरदारी देख अब अबू हमजा जैसे कई और आतंकी भारत आने के जुगाड़ में है

आतंकियों को अब पाक में डर लग रहा है। अबू जिंदाल ने कबूला कि पाक अब आतंकियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना नहीं रह गया है। क्योंकि अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ पाक में जबरदस्त मुहिम चला रखी है। इससे पहले दाउद के भाई इब्राहीम कास्कर के भारत आने के बाद बाद डान का दूसरा भाई मुस्तकीम भी मुम्बई आने के जुगाड़ से यह बात साबित हो चुकी है। दाऊद भी किसी तरह से भारत आने के फिराक में है क्योंकि उसे यह अच्छी तरह से पता हैं कि जब ओसामा को अमेरिका ने खोज निकाला और मार गिराया तो फिर उसकी क्या बिसात है। कसाब व अफजल गुरु की भारतीय जेलों में खातिरदारी देख अब अबू हमजा जैसे कई और आतंकी भारत आने के जुगाड़ में है।
जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जिंदाल 26/11 का हमला होने के बाद राजनयिक स्तर पर पाकिस्तान पर बढ़ रहे दबाव से घबरा कर सऊदी अरब भागा था। उसे पाकिस्तान में अपनी जान को खतरा महसूस हो रहा था। उसने बताया है कि वह पाकिस्तानी सेना के मेजर इकबाल और समीर अली के असली नाम नहीं जानता है।
स्पेशल सेल के सूत्रों के मुताबिक, जबीउद्दीन ने पूछताछ के दौरान बताया है कि मुंबई हमले की साजिश में पाकिस्तानी सेना के अफसर शामिल थे। मेजर रैंक के दो अफसर मुरीदके ट्रेनिंग कैंप में आते रहते थे, जहां कसाब और उसके नौ साथियों को हमले की ट्रेनिंग दी जा रही थी। जबीउद्दीन ने यह भी बताया कि मुम्बई अटैक होने के बाद वह पाकिस्तान पर भारत, अमेरिका और पश्चिमी देशों से पड़ रहे दबाव से परेशान रहने लगा था। उसने बताया कि 26/11 के बाद पाकिस्तान सरकार और आईएसआई ने लश्कर के सरगनाओं हाफिज मुहम्मद सईद, जकी उर रहमान लखवी और जरार शाह को अंतरराष्ट्रीय माहौल के बारे में आगाह करते हुए शांत रहने की हिदायत दी थी। पाकिस्तान जाकर ‘अबू जिंदाल’ बन चुके जबीउद्दीन अंसारी ने पुलिस को बताया कि उन हालात में उसे हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी नागरिक होने में फर्क महसूस हुआ था।
जबीउद्दीन ने बताया कि पाकिस्तान में तेजी से बदले हालात में वह बुरी तरह घबरा गया था। इस हमले के बाद वह काफी दिनों तक पाकिस्तान में ही छिपकर रहा। जबीउद्दीन के अनुसार, उसे पाकिस्तान में अपनी जान का खतरा महसूस होने लगा था। उसे डर था कि आईएसआई के एजेंट हमले के सबूत मिटाने के मकसद से उसकी हत्या कर सकते हैं।
छिपकर रहते हुए जबीउद्दीन ने किसी तरह रियासत अली के नाम से पाकिस्तानी पासपोर्ट हासिल किया। इस पासपोर्ट पर पाकिस्तानी नागरिक के तौर पर वह सऊदी अरब भाग गया था। उसने बताया है कि वह एक साल से सऊदी अरब में रह रहा था। रियाद पहुंचकर उसने लश्कर या आईएसआई में अपने जानकारों से संपर्क नहीं किया था। हालांकि बताया जा रहा है कि इंटरपोल को उसके बारे में जानकारी पाकिस्तान से ही मिली थी। इसके बाद भारत सरकार को बताया गया था। जानकारी मिली है कि सऊदी अरब की हुकूमत ने उसे हिरासत में लेने के बाद उसे डिपोर्ट करने के लिए डीएनए टेस्ट के लिए कहा था। इसके बाद उसके परिवार से उसका डीएनए मिलान किया गया था।
दाउद अब पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं है। अमेरिका पाकिस्तान पर आतंकवाद को लेकर शिकंजा कसता ही जा रहा है। 1993 के मुम्बई बम विस्फोट के आरोपी दाउद को डर सता रहा है कि कहीं अमेरिका भारत से नजदीकिया बढ़ाने व दुनिया में अपनी आतंकवाद विरोधी छवि को और मजबूत बनाने के लिए उसका खात्मा ही न कर दे। जब अमेरिका ने ओसामा का सफाया कर दिया तो फिर दाउद क्या चीज है। अमेरिका से डरा दाउद इसके मुताबिक दाऊद अपने घरवालों को एक-एक कर भारत भेजना चाहता है और यह समर्पण भी उसी योजना का हिस्सा है। इससे पहले भी दाऊद का एक अन्य भाई इकबाल कासकर दुबई के रास्ते भारत आ चुका है और अब उसके दूसरे भाई ने भी ऐसी ही इच्छा जताई है। ऐसा माना जा रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ जारी अमेरिकी लड़ाई और पकिस्तान पर बढ़ रहे दबाव के कारण दाऊद एक-एक कर अपने सगे सम्बन्धियों को सुरक्षित भारत वापस भेजना चाहता है। मुस्तकीम का सरेंडर करना भी इसी प्लान का हिस्सा हो सकता है। कुख्यात दाउद का छोटा भाई मुस्तकीम पिछले दिनों कराची से भागकर दुबई चला गया था। उसने दुबई में पुलिस के सामने समर्पण कर दिया है और उसने भारत लौटने की इच्छा जताई है।

 

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