ओजोन परत, गैस की एक नाजुक ढाल है, जो सूर्य की किरणों के हानिकारक हिस्से से पृथ्वी की रक्षा करती है, इस प्रकार ग्रह पर जीवन को संरक्षित करने में मदद करती है। ओजोन को उसके क्षयकारी पदार्थों के नियंत्रित उपयोग से न केवल भावी पीढ़ियों के लिए ओजोन परत की रक्षा करने में मदद मिलेगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन को रोकने हेतु, हो रहे वैश्विक प्रयासों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकेगा । इसके अलावा, यह हानिकारक पराबैंगनी विकिरण को पृथ्वी तक पहुंचने से सीमित कर मानव स्वास्थ्य और पारिस्थिति की प्रणालियों की रक्षा की है।
ओजोन परत और जलवायु की रक्षा के लिए तीन दशकों से उल्लेखनीय मोंट्रियल अंतर्राष्ट्रीय प्रयास, हमें याद दिलाता है कि लोगों को स्वस्थ रखने हेतु पृथ्वी के चारो तरफ ओजोन परत मोटाई बनाने मे सार्थक प्रयास किये गये और इस गति को बनाए रखना नितांत आवश्यक है । हमे ज्ञात है कि रेफ्रिजरेटर, एयर-कंडीशनर और कई अन्य उत्पादों में 99 प्रतिशत ओजोन-क्षयकारी रसायनों का उपयोग हो रहा था, इसका अन्य विकल्प ढूढा गया और आगे भी प्रयास जारी है।
ओजोन डिप्लेशन का नवीनतम वैज्ञानिक मूल्यांकन 2018 में किया गया था, जिसके आकणो से यह जानकारी मिली कि 2000 के बाद से ओजोन परत के कुछ हिस्सों मे प्रति दशक 1-3% की दर से बढोत्तरी हुई है। अनुमानित दरों पर, उत्तरी गोलार्ध और मध्य-अक्षांश पर ओजोन 2030 तक पूरी तरह से ठीक हो जायेगी । परंतु यह प्रयास दक्षिणी गोलार्ध पर 2050 और ध्रुवीय क्षेत्रों में 2060 तक चलेगा। ओजोन परत संरक्षण के प्रयासों ने 1990 से 2010 तक अनुमानित 135 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन को रोककर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में बहुमूल्य योगदान दिया है।
परन्तु कोरोना के कारण, 2-3 महीने के लाकडाउन बाद मई 1, 2020 को, उत्तरी गोलार्ध में एक “अभूतपूर्व” ओजोन की कमी ठीक हो गई है । परंतु वैज्ञानिकों का कहना है – दुनिया भर में कोरोनावायरस लॉकडाउन के प्रभावों के कारण संभावना नहीं है, जो छेद ग्रीनलैंड के आकार का लगभग तीन गुना था।
जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित दो-नए अध्ययनों में पाया गया कि उत्तरी चीन, पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्रदूषण 2020 की शुरुआत में पिछले साल की तुलना में इस समय 60% तक कम हो गया । अध्ययनों में से एक यह भी पाया गया कि उत्तरी चीन में 2.5 माइक्रोन से कम के कण प्रदूषण को कम करते हैं।
आर्कटिक के ऊपर “रिकॉर्ड-स्तर” ओजोन छेद – 2011 के बाद सबसे बड़ा – अब बंद हो गया
इस विश्व ओजोन दिवस पर, हम अपनी सफलता का अवश्य जश्न मना सकते हैं। लेकिन हम सभी को विशेष रूप से सतर्क रहकर ओजोन-क्षयकारी पदार्थों के किसी भी अवैध स्रोतों से निपटने के लिये सार्थक प्रयास जारी रखना होगा। आवश्यक प्रोटोकॉल को बनाये रखने के लिए हमें समय समय पर जारी संशोधनो का भी तहे दिल से स्वागत व समर्थन करना चाहिए।
हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) जो कि शक्तिशाली जलवायु-वार्मिंग गैसें हैं, को चरणबद्ध रूप मे उक्त संशोधन से ओजोन परत की रक्षा करते हुए सदी के अंत तक वैश्विक तापमान वृद्धि को 0.4 सेंटीग्रेड तक से बचाया जा सकता है और शीतलन उद्योग (रेफ्रीजरेसन इंडस्ट्री) में ऊर्जा दक्षता में सुधार के साथ, एचएफसी में चरण-डाउन की कार्रवाई करके, हम बड़े जलवायु लाभ को प्राप्त कर सकेगे।