रथ यात्रा के पांचवें दिन भगवान जगन्नाथ को लेने उनकी पत्नी महालक्ष्मी शनिवार को मासीबाड़ी पहुंचीं। लेकिन भगवान जाने को तैयार नहीं हुए तो नाराज लक्ष्मी ने उनका रथ तोड़ दिया। लक्ष्मी जगन्नाथ के इस लीला को हेरा पंचमी कहते हैं। धनसार स्थित जगन्नाथ मंदिर में शनिवार को हेरा पंचमी को लेकर विशेष पूजन का आयोजन किया गया। मंदिर कमेटी के सदस्य माहेश्वर राउत ने बताया कि इस वर्ष कोरोना के कारण अनुष्ठानों का नियम पूरा किया जा रहा है। इस बार धनसार निवासी जगन्नाथ की भक्त कल्पना बारिक को लक्ष्मी का स्वरूप बनाया गया है। लक्ष्मी का शृंगार करके वह जगन्नाथ के मासीबाडी पहुंचती है। फिलहाल भगवान जगन्नाथ को बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ उनकी मंदिर के बगल में स्थित मासीबाड़ी में रखा गया है। भगवान के भोग से लेकर शयन तक का अनुष्ठान मासीबाड़ी में ही हो रहा है।
लक्ष्मी के आगमन पर पीठा और दही पोखाल का भोग
जगन्नाथ मंदिर के पुरोहित देवाशीष पंडा ने बताया कि लक्ष्मी के आगमन पर विशेष पूजा का आयोजन हुआ। पीठा और दही पोखाल का विशेष भोग अर्पण किया गया। दही पोखाल दही में चावल (भात) का मिश्रण, जिसमें पुदीना, लौंग, इलायची सहित 14 प्रकार की सामग्री डाली जाती है। तीनों पहर यह भोग अर्पण किया गया। बताया कि विधि अनुसार माता लक्ष्मी को मुख्य मंदिर से मासीबाड़ी पालकी में लाया गया। जहां पर पुरोहित उन्हें गर्भगृह लेकर गए और भगवान जगन्नाथ से उनका मिलन कराया। यहां लक्ष्मी जगन्नाथ को वापस अपने धाम चलने का निवेदन करती है।
नहीं चलने पर लक्ष्मी ने तोड़ दिया भगवान का रथ
पुरोहित बताते हैं कि साथ नहीं चलने पर मुख्य मंदिर में वापस लौटने से पूर्व मां लक्ष्मी नाराज होकर अपने एक सेवक को आदेश देती हैं कि वह जगन्नाथ जी के रथ नंदीघोष का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त कर दे। इस अनुष्ठान को रथ भंग कहा जाता है। बताया कि एक जुलाई को भगवान वापस मासीबाड़ी से मुख्य मंदिर लौटेंगे। इसे बाहुड़ा या घुरती रथ भी कहते हैं।