लखनऊ: श्रावण मास 25 जुलाई श्रावण कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ हो गया. 26 जुलाई यानि आज श्रावण का पहला सोमवार पड़ेगा. शिवपुराण के अनुसार श्रावण मास भगवान शिव का अति प्रिय मास है और सोमवार उनका प्रिय दिन है. मान्यता है इस माह और विशेषकर इस दिन शिव की पूजा से वह अति प्रसन्न होते हैं.
2, 9 और 16 अगस्त को क्रमशः होंगे दूसरे, तीसरे और चौथे सोमवार
हिन्दी महीने के कैलेंडर के अनुसार 26 जुलाई के बाद दूसरा सोमवार 2 अगस्त को, तीसरा 9 व चौथा सोमवार 16 अगस्त को पड़ेगा. कुल 4 सोमवार श्रावण (सावन) मास में होगें. 22 अगस्त को श्रावणी पूर्णिमा होगी. इस तिथि में रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जायेगा. इसी दिन से सावन समाप्त हो जायेगा.
इस कारण है शिव का प्रिय मास
अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र के संस्थापक पंडित एस. एस. नागपाल बताते हैं कि ज्योतिष गणना के अनुसार पूर्णिमा तिथि को श्रवण नक्षत्र का योग होने से भी यह मास श्रावण कहलाता है. उन्होंने बताया कि श्रावण मास व श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्र है और चंद्र के स्वामी भगवान शिव हैं. इसलिए सावन शिव का प्रिय माह है.
इसलिए सोमवार को होता है शिव पूजा
इसीप्रकार से ज्योतिषशास्त्र में सोमवार को चंद्रमा का दिन माना गया. सोम चंद्रमा का ही एक नाम है.
चूंकि चंद्रमा भगवान शिव के ललाट पर विराजित है. इसलिए सोमवार को शिव पूजा भी की जाती है.
यह महादेव का प्रिय वार माना जाता है.
यह शिव भगवान की पूजा- विधि
शिवपुराण के अनुसार श्रावण मास में शिव उपासना का विशेष महत्व है. शिव भक्त श्रावण के सभी सोमवार को श्रावण व्रत रख कर शिव उपासना करते है. शिव के साथ गणेश, पार्वती व नन्दी जी की भी पूजा की जाती है. श्रावण में जल, दूध , दही, शहद, घी, चीनी, जनेऊ, चन्दन, रोली, बेलपत्र, भांग-धतूरा आदि से पूजन कर कर्पूर से आरती करने का विधान है.
इस मंत्र से जाप करने पर प्रसन्न होते हैं शिव
शिव उपासना के साथ रूद्राभिषेक करने और ‘ऊँ नमः शिवाय’ मन्त्र का जप करने से रूद्रसुक्त, लघु रूद्री, महारूद्री का पाठ करने से औढ़रदानी भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते है. शिव पूजा से सभी ग्रहों का दोष निवारण होता है.

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