अरविन्द शर्मा

कारोंना काल के चलते इस बार नवरात्रि में आप माँ विंध्यवासिनी के चरणों का स्पर्श नही कर सकेंगें. जहां श्रद्धालु माता का चरण स्पर्श नहीं कर सकेंगे तो वहीं गर्भ गृह व निकास द्वार से प्रवेश भी प्रतिबंधित होगा। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा के साथ दर्शन हो सके, इसके लिए पूरे क्षेत्र को आठ जोन व 18 सेक्टरों में बाँटा गया है. जहाँ अधिकारियों को कड़े संदेश के साथ ड्यूटी लगाई गई है.
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये मां विंध्यवासिनी देवी के दर्शन के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन आपको करना होगा। नवरात्रि के समय में मां दुर्गा जी के 9 स्वरुपों की विधि विधान से पूजा की जाती है, इसलिए इसे दुर्गा पूजा भी कहा जाता हैं. नवरात्रि के समय में माँ दुर्गा जी के बीज मंत्रों का जाप कल्याणकारी और प्रभावी माना जाता है. इस नवरात्रि आप नवदुर्गा जी के बीज मंत्रों का जाप कर सकते हैं. इसमें शब्दों के उच्चारण का विशेष ध्यान रखा जाता है।
मां दुर्गा जी के 9 स्वरुपों के बीज के ये है मंत्र
शैलपुत्री: ॐ ह्रीं शिवायै नम:।
ब्रह्मचारिणी: ॐ ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
चन्द्रघण्टा: ॐ ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
कूष्मांडा: ॐ ऐं ह्री देव्यै नम:।
स्कंदमाता: ॐ ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
कात्यायनी: ॐ क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
कालरात्रि: ॐ क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
महागौरी: ॐ श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
सिद्धिदात्री: ॐ ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
17 अक्टूबर को घट स्थापना के साथ ही माँ दुर्गा की विधि विधान से पूजा अर्चना शुरू हो जाएगी. 25 अक्टूबर को पारण के साथ ही नवरात्रि का समापन हो जाएगा।
आठ दिनों की होगी नवरात्रि, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
शनिवार से शुरू हो रही नवरात्रि में इस बार नवरात्रों का एक दिन कम हो रहा है. अष्टमी और नवमी तिथियां एक ही दिन पड़ने से नवरात्र के आठ दिन के ही होंगे और अगले दिन विजयदशमी मनाई जाएगी. 17 अक्तूबर को पहला नवरात्र होगा. शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के 10 घड़ी तक या अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना की जा सकती है. लेकिन प्रतिपदा की प्रथम 16 घड़ी और चित्रा नक्षत्र के साथ वीदृति योग का पूर्व भाग घट स्थापना के लिए वर्जित है.
इस बार प्रतिपदा की 16 घड़ी 17 अक्तूबर को प्रातः काल 7.20 तक ही है. इसलिए इसके बाद कलश स्थापना की जा सकती है. प्रातः काल 7:46 से 9:12 कलश स्थापना करना सबसे अच्छा रहेगा. इस दिन अभिजित मुहूर्त 11:38 से दोपहर 12:26 तक होगा. इस समय भी कलश स्थापना की जा सकती है. वहीं नवमी 25 अक्तूबर को सुबह 7:42 तक है, उसके बाद दशमी लग रही है।
दशहरा 25 अक्तूबर को मनाया जाएगा
26 अक्तूबर को दशमी सुबह 9 बजे तक ही है. विजयदशमी, अपराजिता का पूजन दोपहर में होता है, और रावण का दहन शाम को होता है, इसलिए दशहरा 25 अक्तूबर को मनाया जाएगा।

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