ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथयात्रा शुरू हो गयी है। रथयात्रा को देखने के लिए देश-विदेश के लोग पहुंचे हैं। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अलग.अलग रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की यात्रा पर निकलेंगेण् ज्ञात हो कि भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम नंदिघोष, बलभद्र के रथ नाम तालधव्ज और सुभद्रा के रथ का नाम देवदलन होता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक पल में देश के सभी लोगों को रथयात्रा की शुभकामना दी है। रथयात्रा को लेकर ओडिशा सरकार और शंकराचार्य के बीच ठन गयी हैण् सरकार ने सुरक्षा के मद्देनजर रथ पर सवार होकर भगवान के दर्शन पर रोक लगा दी है। सरकार ने पुरी के शंकराचार्य को भी अपने शिष्यों के साथ रथ पर चढ़ कर दर्शन से मना कर दिया है। इस मामले को लेकर शंकराचार्य सरकार से काफ ी नाराज हैं उन्होंने रथयात्रा में भाग लेने से मना कर दिया है। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने आडिशा सरकार पर धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए घोषणा की कि वह रथों तक नहीं जाएंगे जब रथों को रथयात्रा के लिए खींचा जाएगा। ऐतिहासिक रथयात्रा के मद्देनजर ओडि़शा पुलिस ने पुरी में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये हैं। हवाई तथा तटीय निगरानी के साथ ही 6ए500 सुरक्षाकर्मी तैनात किये जा रहे हैंण् एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने जानकारी दीण् उन्होंने कहा कि भारतीय तटरक्षक बल समुद्र में चौकसी करेगाण् विमानन अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है कि त्योहार के दौरान पुरी के आकाश में कोई उड़ान संचालित नहीं हो। पुलिस महानिदेशक प्रकाश मिश्र ने उत्सव के दौरान आतंकवादी गतिविधियों के संबंध में किसी विशिष्ट खुफिया जानकारी होने से इनकार किया हैण् उल्लेखनीय है कि इस त्योहार में लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैंण् पुलिस महानिरीक्षक आरपी कोचे ने कहा कि सालाना रथ यात्र के दौरान 104 प्लाटून पुलिस बलए विभिन्न रैंक के एक हजार अधिकारी और 2,000 होमगार्ड तैनात किये जायेंगे एक प्लाटून में 30 जवान होते हैं। इसके अलावा त्वरित कार्रवाई बल की दो कंपनियां और अन्य इकाइयां भी किसी आतंकवादी हमले का मुकाबला करने के लिए तैनात होंगीण् बम का पता लगानेवाले और निष्क्रिय करनेवाले दस्तों के अलावा विशेष ऑपरेशन समूह को भी अलर्ट रखा जायेगाण् तटरक्षक बल के पोत और कर्मी तटीय क्षेत्र में नजर रखेंगेण् समुद्र में करीब 300 प्रशिक्षित लाइफ गार्डस की भी तैनाती की जायेगीए ताकि श्रद्धालुओं को पवित्र डुबकी लगाने के दौरान डूबने से बचाया जा सके। शास्त्रों और पुराणों में रथयात्रा के महत्व को स्वीकारा गया है। स्कंद पुराण में स्पष्ट लिखा गया है कि जो व्यक्ति रथ में विराजमान भगवान जगन्नाथ को देखता हैए उनका कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाते हैं, वह मुक्त हो जाता है।