नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद घोषणा की है कि देश में रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट(आरटीजीएस) सुविधा दिसंबर, 2020 से 24 घंटे उपलब्ध कराई जाएगी। ऑनलाइन फंड ट्रांसफर के लिए आरटीजीएस एक प्रमुख सेवा है। इससे पहले आरबीआई ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे बचत खाता धारकों के लिए एनईएफटी और आरटीजीएस के जरिए होने वाली सभी ऑनलाइन पेमेंट्स को मुफ्त करें।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि दिसंबर,2019 में आरबीआई ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) सिस्टम को 24x7x365 उपलब्ध कराया था और तब से यह सिस्टम बहुत अच्छा काम कर रहा है। घरेलू उद्योगों और संस्थाओं को रियल टाइम पर आसान और निर्बाध भुगतान सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अब आरटीजीएस को सालभर 24 घंटे उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। दिसंबर,2020 से आरटीजीएस सेवा 24 घंटे उपलब्ध होगी। बड़ी रकम के लेनदेन को रियल टाइम पेमेंट सिस्टम के तहत 24x7x365 आधार पर उपलब्ध कराने वाले कुछ देशों की सूची में अब भारत भी शामिल हो गया है। यह कदम लार्ज वैल्यू पेमेंट ईकोसिस्टम में इन्नोवेशन को बढ़ावा देगा और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सहायक होगा।
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बड़ी राशि के अंतरण के लिये भारत में आरटीजीए (भुगतान के तत्काल निपटान) की सुविधा आगामी दिसंबर से चौबीसों घंटे शुरू कर दी जाएगी।
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इससे भारतीय वित्तीय बाजार को वैश्विक बाजारों के साथ एकीकृत करने के प्रयासों को मदद मिलेगी।
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भारत वैश्विक स्तर पर ऐसे गिने चुने देशों में होगा जहां 24 घंटे, सातो दिन, बारहों महीने बड़े मूल्य के भुगतानों के तत्काल निपटान की प्रणाली होगी। यह सुविधा दिसंबर 2020 से प्रभावी हो जाएगी।
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आरबीआई ने इससे पहले दिसंबर 2019 में एनईएफटी प्रणाली (नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर सिस्टम) को हर रोज चौबीसो घंटे चालू किया था।
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आरटीजीएस अभी केवल बैंकों के सभी कार्यदिवसों में (दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़ कर) सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक खुला रहता है।
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आरबीआई ने कहा है कि आरटीजीएस के चौबीसो घंटे उपलब्ध होने से भारतीय वित्तीय बाजार को वैश्विक बाजार के साथ समन्वित करने के निरंतर जारी प्रयासों तथा भारत में अंतराष्ट्रीय वित्तीय केद्रों के विकास में की मदद होगी। इससे भारतीय कंपनियों और संस्थाओं को भुगतान में और आसानी होगी।
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रिजर्व बैंक ने जुलाई 2019 से एनईएफटी और आरटीजीएस के जरिये धन अंतरण पर शुल्क लेना बंद कर दिया था।
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देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया।
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आरटीजीएस के जरिये बड़ी राशि का त्वरित अंतरण किया जाता है जबकि एनईएफटी का इस्तेमाल दो लाख रुपए तक की राशि को भेजने के लिए किया जाता है।