सचिन तेंदुलकर ने सरकारी बंगला ने रहने का फैसला कर अपना कद और ऊंचा कर लिया है।

सचिन तेंदुलकर को ऐसे ही महान नहीं कहा जाता। वह क्रिकेट के मैदान पर होते हैं तो टीम इंडिया के बारे में सोचते हैं और जब संसद पहुंचे तो देश व जनता के बारे में सोचना शुरू कर दिया। सचिन ने बतौर सांसद दिल्ली में मिलने वाले सरकारी बंगला लेने से इनकार कर दिया है। सचिन ने कहा कि यह जनता के पैसे की बर्बादी होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में वह अपने खर्चे पर होटेल में रहना पसंद करेंगे। जरा याद कीजिए कि पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर सरकारी आवास के बावजूद महीनों दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में रहे और लाखों का बिल सरकारी खाते में जुड़वा दिया था।
देश के वित्त राज्यमंत्री का मामला लीजिए। बिशम्बरदास मार्ग पर उन्हें बंगला अलॉट किया गया था, लेकिन उस बंगले समेत कुछ बंगलों को तोडक़र सीपीडब्ल्यूडी ने सांसदों के लिए मल्टिस्टोरी फ्लैट बनाने की योजना तैयार की। मंत्री महोदय के लिए विकल्प के तौर पर नया बंगला बनाया गया और उन्हें सुपुर्द भी कर दिया गया।
इसके बावजूद उन्होंने कई महीने तक यह बंगला खाली नहीं किया, जिसकी वजह से निर्माण कार्य अधर में लटकने का खतरा पैदा हो गया। पिछले महीने मंत्री महोदय ने बंगला खाली किया तो सीपीडब्ल्यूडी ने राहत की सांस ली। कई नेताओं का निधन हो चुका है, बावजूद इसके उनके स्मारक के नाम पर बंगले पर कब्जा बना हुआ है। बंगलों को लेकर नेताओं में ही नहीं बल्कि ब्यूरोक्रेसी में भी खींचतान चलती रहती है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में विधायक व मंत्री ही नहीं बल्कि नौकरशाह भी अपने बंगले को लेकर खींचतान मचाए रहते हैं। बसपा सरकार में बाबू सिंह कुशवाहा का बंगले को विस्तार देने के लिए ऐतिहासिक इमारत तक गिरा दी गई थी वहीं कैबिनेट सचिव शशांक शेखर का बंगला भी उनकी सत्ता में हनक का परिचायक रहा है।
तेंदुलकर ने कहा कि मैं किसी सरकारी बंगले में नहीं रहना चाहता। इससे अच्छा होगा कि यह बंगला उसे दिया जाए जिसे मुझसे ज्यादा जरूरत है। सोमवार को राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ लेने वाले सचिन ने कहा कि वह जब भी दिल्ली में होंगे तो होटल में रहेंगे।
उन्होंने कहा, मेरे लिए राज्यसभा सदस्य के रूप में मनोनीत होना इससे मिलने वाले विशेषाधिकारों और फायदों से ज्यादा सम्मान की बात है। उन्होंने लंदन रवाना होने से पहले एक बातचीत में कहा,कि सरकारी बंगला नहीं लेने से राज्यसभा सदस्य के रूप में मेरी जिम्मेदारियों पर असर नहीं पड़ेगा। मैं हर सत्र में संसद में मौजूद रहूंगा|